Income Tax Saving: इनकम टैक्स बचाने के खोज रहे हैं उपाय तो आपके काम आ सकते हैं ये फ्लेक्सी कम्पोनेंट
What is Flexi Component in Salary?: वित्त वर्ष 2023-24 समाप्त होने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है. ऐसे में अब सभी टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स बचाने का आखिरी मौका बचा हुआ है...
वित्त वर्ष 2023-24 की आखिरी तिमाही शुरू हो चुकी है. इसके साथ ही वित्त वर्ष 2023-24 यानी आकलन वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप देने का समय आ गया है. अगर आप भी टैक्स बचाना चाहते हैं तो आज हम आपको काम के कुछ उपाय बताने जा रहे हैं. ये उपाय उन टैक्सपेयर्स के लिए हैं, जो सैलरीड हैं.
क्या होती है सीटीसी
दरअसल, कोई भी कंपनी अपने कर्मचारी की सैलरी सीटीसी यानी कॉस्ट-टू-कंपनी से कैलकुलेट करती है. CTC वो रकम है, जो एक फाइनेंशियल ईयर में कंपनी अपने कर्मचारी के ऊपर खर्च करती है. हर कंपनी में सैलरी स्ट्रक्चर अलग-अलग होता है. CTC में बेसिक सैलरी, हाउस रेंट अलाउंस (HRA), स्पेशल अलाउंस और फ्लेक्सी बेनेफिट जैसी चीजें होती हैं. इनमें कई चीजें टैक्स बचाने का काम करती हैं.
सीटीसी के 3 प्रमख हिस्से
नौकरीपेशा व्यक्ति की CTC में मोटा-माटी तीन हिस्से होते हैं... पहला- फिक्स्ड कम्पोनेंट, दूसरा- रिएम्बर्समेंट या फ्लेक्सी बेनेफिट और तीसरा- Other Components. फिक्स्ड कम्पोनेंट में आमतौर पर बेसिक सैलरी, HRA और स्पेशल अलाउंस शामिल हैं. CTC में बेसिक सैलरी का हिस्सा 40 से 50 फीसदी होता है. वहीं, स्पेशल अलाउंस पूरी तरह से टैक्सेबल होते हैं. आमतौर पर HRA बेसिक सैलरी का 50 फीसदी तक होता है, जिस पर टैक्स छूट मिलती है.
एचआरए पर टैक्स बेनेफिट
हाउस रेंट अलाउंस (HRA) क्लेम करने की कंडीशन ये है कि कंपनी से HRA मिलता हो और आप घर का किराया भर रहे हों. छूट का कैलकुलेशन तीन चीजों पर निर्भर करता है. ये तीन चीजें हैं- HRA के रूप में मिली रकम, मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी+DA का 50 फीसदी और नॉन-मेट्रो शहर में बेसिक+DA का 40 फीसदी, किराए की वास्तविक रकम से बेसिक सैलरी +DA का 10 फीसदी घटाने पर आने वाली राशि. तीनों में जो कम होगा उस रकम पर टैक्स छूट मिलेगी.
फ्लेक्सी कम्पोनेंट पर टैक्स लाभ
कर्मचारी की कर योग्य यानी टैक्सेबल इनकम घटाने के लिए इम्प्लॉयर उनकी सैलरी में कई कम्पोनेंट शामिल करते हैं, जिन्हें फ्लेक्सी कम्पोनेंट या रिएम्बर्समेंट के नाम से जाना जाता है. कंपनी कर्मचारियों को काम के दौरान या प्री-पेड फूड वाउचर जैसे सोडेक्सो कूपन के जरिए फूड अलाउंस देती है. इसके तहत, एक वक्त के खाने के लिए 50 रुपये और दिन में 2 बार खाने के लिए 100 रुपये टैक्स-फ्री होते हैं. 22 दिन के हिसाब से हर महीने 2,200 रुपये और सालाना 26,400 रुपये की सैलरी को टैक्स-फ्री बना सकते हैं.
कई कंपनियों के कर्मचारियों को इंटरनेट व फोन, किताबें, अखबार और पत्र-पत्रिकाओं, लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), कार लीज, कार मेंटेनेंस, फ्यूल एक्सपेंस, हेल्थ क्लब और ड्राइवर सैलरी जैसे दूसरे खर्चों को भी रिएम्बर्स कराने का ऑप्शन मिलता है. कर्मचारी HR पोर्टल पर जाकर इन्हें चुन सकता है और टैक्स बचा सकता है.
कैसे काम करता है रिएम्बर्समेंट मॉडल?
कंपनी से मिले रिएम्बर्समेंट क्लेम करने के लिए खर्च से जुड़े दस्तावेज जैसे बिल आपको कंपनी में देने होते हैं. खर्च की वास्तविक रकम या सैलरी में इन मद में दी गई रकम में जो कम है, उस पर टैक्स बचाया जा सकता है. रिएम्बर्समेंट की रकम को सैलरी इनकम से घटा दिया जाता है और जिससे इनकम और उस पर टैक्स दोनों कम हो जाता है.
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