Flight Tickets: कैसे तय होता है फ्लाइट का किराया? कौन-कौन से चार्ज टिकट में होते हैं शामिल
Airline Tickets Fare Components: अगर आप भी समझना चाहते हैं कि हवाई किराये इतने ज्यादा क्यों होते हैं तो इनमे शामिल होने वाले अलग-अलग चार्ज के बारे में जान लीजिए जिनसे मिलकर एयर फेयर तय होता है.
Airline Tickets Fare: हाल के दिनों में फ्लाइट के किरायों को लेकर काफी चर्चा हुई हैं क्योंकि ये किराए आसमान पर पहुंच गए थे. देश में गो फर्स्ट के संकट के बाद भी घरेलू उड़ानों में कमी देखी गई जिसका असर फ्लाइट के किरायों पर पड़ा था. क्या आपके मन में कभी ये सवाल आया है कि आखिरकार फ्लाइट के किरायों में ऐसे कौन से खर्च शामिल होते हैं जो ये इतने ऊंचे भाव पर मिलते हैं, तो यहां इसका जवाब मिल सकता है.
एयरलाइन के टिकटों में एयरफेयर चार भागों में बंटा होता है- एयरलाइन कंपोनेंट, एयरपोर्ट ऑपरेटर फीस, एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को जाने वाली फीस और सरकार को जाने वाले चार्ज. एयरलाइन के कंपोनेंट में बेसिक फेयर, एयरलाइन फ्यूल चार्ज, कॉमन यूजर टर्मिनल इक्विपमेंट फी (अगर लागू हुई तो) और कंवीनिएंस फीस शामिल होती हैं जो ऑनलाइन मोड में डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिए बुक किए टिकटों पर लगती है.
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया पैसेंजर सर्विस फीस लेता है जबकि एयरपोर्ट ऑपरेटर एयरपोर्ट डेवलपमेंट फीस और यूजर डेवलपमेंट फीस लेते हैं. एयरफेयर में सरकार को जाने वाला सर्विस टैक्स भी शामिल होता है.
हवाई टिकटों के किराए में शामिल होने वाले कंपोनेंट्स को जानें
यूजर डेवलपमेंट फीस (UDF)
फ्लाइट फेयर में शामिल होने वाले किरायों में से सबसे कॉमन चार्ज में से एक है यूजर डेवलपमेंट फीस जो कि हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण के खर्च को पूरा करने के लिए वसूले जाते हैं. इस मद में जाने वाले खर्चों में अंतर इस बात पर निर्भर करता है कि कौन से एयरपोर्ट से फ्लाइट उड़ान भर रही है.
एयरलाइन फ्यूल चार्ज
कभी-कभी एयरलाइन्स ऊंची फ्यूल कीमतों का भार एयरलाइन पैसेंजर्स पर डालती हैं और इसे एयरलाइन फ्यूल चार्ज या फ्यूल सरचार्ज के रूप में वसूलती हैं जो कि बेस फेयर के ऊपर वसूला जाता है.
पैसेंजर सर्विस फीस
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) उड़ान भरवाने वालों से पैसेंजर सर्विस फीस वसूलता है जिसे एयरपोर्ट्स पर पैसेंजर्स की सिक्योरिटी और अन्य सुविधाओं के एवज में लिया जाता है. हालांकि इस फीस को केवल कुछ एयरपोर्ट्स ही यात्रियों से वसूलते हैं.
CUTE फीस
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया कुछ मामलों में पैसेंजर्स पर CUTE फीस भी वसूलते हैं जिसे कॉमन यूजर टर्मिनल इक्विपमेंट फीस कहा जाता है. इसे एयरपोर्ट पर यूज की जाने वाली मेटल डिटेक्टिंग मशीन्स, एस्केलेटर्स और हवाई अड्डे के अन्य उपकरणों के यूज के एवज में वसूला जाता है. इसे कभी-कभी पैसेंजर हैंडलिंग फीस भी कहा जाता है जो अलग-अलग एयरपोर्ट पर अंतर हो सकती है.
पैसेंजर सिक्योरिटी फीस
हवाई यात्रा करवाने वालों से पैसेंजर सिक्योरिटी फीस या एविएशन सिक्योरिटी फीस भी ली जा सकती है जो कि सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) पर्सनल की तैनाती के एवज में होती है.
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