नई दिल्ली: फ्लिपकार्ट की शुरूआत ऑनलाइन किताबें बेचने वाले एक स्टार्टअप के रूप में हुई थी लेकिन 11 साल बाद यह कंपनी उपलब्धियों के झंडे गाड़ते हुए सफलता का पर्याय बन गई. आपको बता दें कि दुनिया की सबसे बड़ी खुदरा अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने भारतीय ई कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट की 77 फीसदी हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर (लगभग 1,07,662 करोड़ रुपये) में खरीद ली है.


कैसे मिलें सचिन और बिन्नी बंसल?


दरअसल अमेरिकी ई- कॉमर्स कंपनी एमेजन के दो पूर्व कर्मचारी सचिन बंसल और बिन्नी बंसल की मुलाकात 2005 में दिल्ली के आईआईटी में हुई थी. दोनों एमेजन में इंटर्नशिप भी कर चुके थे. दोनों की सोच भी मिलती थी जिसके बाद अक्टूबर 2007 में दोनों ने एक नई कंपनी फ्लिपकार्ट का आविष्कार किया.


नई पीढ़ी की सफल भारतीय कंपनियों की अगुवा माने जाने वाली फ्लिपकार्ट की सोच ये थी कि कैसे इसके जरिए ग्राहक किताबें ऑनलाइन खरीद सकते हैं. तो वहीं ये किताबें उनके घर तक भी कैसे पहुंचाई जा सकती है.


शुरूआत में नहीं चली कंपनी


पहले साल इस कंपनी को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. लोगों को लग रहा था कि यह अवधारणा हमारे यहां चल नहीं पाएगी जहां लोग हर चीज को ठोक बजा कर , परख कर खरीदने में विश्वास रखते हैं. पहले साल कंपनी को सिर्फ 20 खेप के आर्डर मिले.


लेकिन दो साल तीन साल के शुरुआती संघर्ष के बावजूद कंपनी चलती रही. 2010 इस कंपनी के लिए पासा पलटने वाला रहा जब उसने अन्य उत्पादों के साथ साथ इलेक्ट्रोनिक्स उत्पाद व मोबाइल आदि भी आनलाइन बेचने शुरू किए. इसके बाद इस कंपनी को मानों पीछे मुडकर देखने का भी समय नहीं मिला. यह दिन दोगुनी रात चौगुनी वृद्धि दर्ज करते हुए भारत में ऑनलाइन खरीदारी यानी ई- कॉमर्स का पर्याय बन गई.


उसकी इस सफलता को देखते हुए कई अन्य कंपनियों ने भी इस क्षेत्र में हाथ आजमाए और सफलता हासिल की. दरअसल इस दौरान भारत का ई- कॉमर्स कारोबार बाजार बढ़कर 30 अरब डालर का हो गया है और 2026 तक इसके बढ़कर 200 अरब डालर होने की उम्मीद की जा रही है.


अपनी सफलता की राह में फ्लिपकार्ट ने ईबे से लेकर टेनसेंट , माइक्रोसाफ्ट और साफ्टबैंक से निवेश लिया. यानी इन कंपनियों का पैसा इसमें लगा है. बेंगलुरु में दो कमरों के छोटे से मकान में शुरू हुई फ्लिपकार्ट के मौजूदा मुख्यालय में 6,800 कर्मचारी हैं. इसके अलावा देश भर में इसके कार्यालय हैं.