Floating रेट वाली FD के फायदेः देश में पैसा लगाने के लिए खासकर ज्यादा उम्र के निवेशक एफडी यानी फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसा लगाना पसंद करते हैं. फिक्स्ड डिपॉजिट में फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट दोनों तरह से ब्याज दर हासिल कर सकते हैं. हालांकि यहां हम आपको बता रहे हैं कि कैसे मौजूदा समय में फिक्स्ड रेट की बजाए फ्लोटिंग रेट वाली एफडी में निवेश करना आपके लिए फायदे का सौदा है.
क्या कारण है फिक्स्ड रेट वाली एफडी पर कम लाभ का
देश में जिस तरह से महंगाई बढ़ने का सिलसिला जारी है उस तरह से बैंकों और फाइनेंशियल संस्थानों की चल रही एफडी पर ब्याज दरें नहीं बढ़ रही हैं. देश में इस समय औसत 7 फीसदी की महंगाई दर के सामने एफडी पर ज्यादा से ज्यादा 5 या 5.50 फीसदी अधिकतम तक ही ब्याज मिल पा रहा है. लिहाजा पैसा सेव करने वालों को साफ साफ करीब 1.5-2 फीसदी का नुकसान हो रहा है.
फ्लोटिंग रेट से कैसे ले सकते हैं फायदा
फ्लोटिंग रेट एफडी का विकल्प आपके लिए ज्यादा असरदार इसलिए है क्योंकि इसमें ब्याज दरें मार्केट रेट के हिसाब से अपने आप बदलती रहती हैं. इस समय आरबीआई द्वारा बैंकों के लिए रेपो रेट बढ़ाने का दौर चल रहा है. अप्रैल 2022 से अब तक भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.90 फीसदी का इजाफा किया है जो दो किस्तों में किया गया है. अब अगर बैंकों के रेपो रेट में इजाफा हो रहा है तो उनकी एफडी के ब्याज में कितनी बढ़ोतरी हुई है? इसका जवाब है- 0.50 फीसदी.
बैंक कैसे तय कर रहे हैं दरें
बैंक रेपो रेट पर आधारित ब्याज दरों में 1.10 से 1.60 फीसदी ज्यादा ब्याज देता है. इस हिसाब से 12-18 महीनों वाले फिक्स्ड डिपॉजिट पर 6 फीसदी और 18-36 महीने वाले एफडी पर 6.5 फीसदी ब्याज मिलने की उम्मीद है जबकि फिक्स्ड रेट वाले एफडी पर मैक्सिमम ब्याज 5 या 5.50 फीसदी तक ही मिल पा रहा है. रेपो रेट के बढ़ने के दौर में इनके 6 फीसदी पर जाने की संभावना जताई जा रही है जिससे आने वाले कुछ और समय तक आपको फ्लोटिंग रेट वाली एफडी कराने में ही ज्यादा फायदा मिलेगा.
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