FM Sitharaman On Inflation: महंगाई पर बोलीं वित्त मंत्री, RBI करेगा काबू में रखने के सब उपाय
Inflation In India: भारत में महंगाई करीब साल भर से लोगों के साथ-साथ सरकार और रिजर्व बैंक के लिए भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है. जनवरी में यह एक बार फिर रिजर्व बैंक के दायरे से बाहर निकल गई.
पिछले एक साल से ज्यादा समय से लोगों की हालत खराब कर रही महंगाई (Inflation In India) अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है. दो महीनों की राहत के बाद पिछले महीने एक बार फिर से यह रिजर्व बैंक (RBI) के दायरे के बाहर निकल गई. इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महंगाई (FM Nirmala Sitharaman On Inflation) को लेकर एक अहम टिप्पणी की. उन्होंने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा कि रिजर्व बैंक महंगाई को अनुमानित दायरे में रखने के लिए हरसंभव उपाय करेगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) सोमवार को जयपुर में बजट के बाद उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा, "रिजर्व बैंक महंगाई को अनुमानित सीमा में बनाए रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा. उभरते बाजारों में हर देश के लिए परिस्थितियां अलग-अलग हैं. ऐसे में मुझे लगता है कि रिजर्व बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था पर नजरें बनाए हुए है और जब उसे जरूरी लगेगा, वह कदम उठाएगा".
पिछला साल महंगाई के लिहाज से काफी चुनौतीपूर्ण रहा. साल 2022 के पहले 10 महीनों के दौरान तो खुदरा महंगाई (Retail Inflation) की दर रिजर्व बैंक के 6 फीसदी के दायरे के पार रही. अंत के दो महीनों में इसमें कुछ नरमी देखने को मिली और दिसंबर 2022 में यह 12 महीने के निचले स्तर 5.72 फीसदी पर आ गई. हालांकि राहत का यह सिलसिला लंबा नहीं चल पाया और जनवरी 2023 में फिर से इसमें तेजी देखने का मिली. इस साल के पहले महीने यानी जनवरी 2023 में खुदरा महंगाई की दर 6.52 फीसदी रही यानी यह एक बार फिर से रिजर्व बैंक के दायरे के बाहर निकल गई.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में खुदरा महंगाई की दर तीन महीने में सबसे ज्यादा रही. सेंट्रल बैंक की मानें तो खुदरा महंगाई आगे भी उसके दायरे से बाहर रह सकती है. रिजर्व बैंक का मानना है कि वित्त वर्ष 2023 में खुदरा महंगाई की दर पहले के 6.7 फीसदी के अनुमान की तुलना में 6.5 फीसदी रह सकती है और वित्त वर्ष 2024 में यह कम होकर 5.3 फीसदी पर आ सकती है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसी महीने कहा था, "वैश्विक अर्थव्यवस्था की तस्वीर अब चंद महीने पहले की तुलना में कम धुंधली है. ज्यादातर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि की संभावनाएं बेहतर हुई हैं और महंगाई की दर कम हुई है. हालांकि महंगाई अभी भी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में लक्ष्य की तुलना में ज्यादा है. मुख्य मुद्रास्फीति में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. ऐसे में हमें सीपीआई यानी खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई को कम करने का प्रयास बरकरार रखना होगा."