Budget 2024: बजट की तैयारी जारी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी प्री-बजट बैठकें, इन तारीखों का रखें ध्यान
Modi 3.0 Budget: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस समय नई एनडीए सरकार के बजट को लेकर तैयारियों में जुटी हुई हैं और जुलाई के दूसरे पखवाड़े में केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया जा सकता है.
Modi 3.0: केंद्र की नई सरकार का गठन इसी 9 जून को होने के बाद नए सिरे से सरकारी कामकाज भी शुरू हो चुके हैं. 18वीं लोकसभा का पहला संसद सत्र 24 जून से 3 जुलाई तक चलेगा. ये विशेष सत्र होगा लेकिन इस सत्र में पूर्ण बजट 2024 को प्रस्तुत नहीं किया जाएगा. हमने आपको खबर दी थी कि संसद के मानसून सत्र में पूर्ण बजट 2024 पेश किया जाएगा और ये जुलाई में आएगा. अब इसी को लेकर अपडेट है कि इसी हफ्ते 20 जून को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इंडस्ट्री के शेयरधारकों के साथ प्री-बजट बैठक करेंगी.
18 जून को भी होगी एक प्री-बजट बैठक-सूत्र
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस समय बजट को लेकर तैयारियों में जुटी हुई हैं. निर्मला सीतारमण जिन्हें एनडीए सरकार में दूसरी बार वित्त मंत्री का पदभार दिया गया है वो जुलाई के दूसरे पखवाड़े में बजट पेश करेंगी. इंडस्ट्री सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि वित्त मंत्री के साथ प्री-बजट परामर्श मंगलवार, 18 जून को राजस्व सचिव के साथ एक आधिकारिक बैठक से पहले होगा.
क्या होगा केंद्रीय बजट में खास
- वित्त वर्ष 2024-25 का आम बजट मोदी 3.0 सरकार का आर्थिक एजेंडा पेश करेगा.
- बजट में महंगाई दर को नीचे लाने की कवायद के बीच विकास को बढ़ावा देने के उपायों पर ध्यान दिया जाएगा.
- बजट में एनडीए की गठबंधन सरकार की मजबूरी को ध्यान में रखते हुए नए संसाधनों की तलाश करने पर ध्यान होगा.
- आर्थिक एजेंडे में भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक 'विकसित भारत' बनाने के लिए तेजी से सुधार के कदमों को शामिल किया जाएगा.
केंद्र सरकार के खजाने में है भरपूर कोष
मोदी 3.0 सरकार को एक मजबूत अर्थव्यवस्था विरासत में मिली है. इसमें खास मुनाफा भी शामिल है क्योंकि आरबीआई ने वित्त वर्ष 24 के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये के अब तक के उच्चतम डिविडेंड का एलान किया था.
Modi 3.0 के पहले बजट में क्या होंगी प्राथमिकताएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल में खाद्य महंगाई दर को घटाना और बेरोजगारी को कम करना, कृषि क्षेत्र में तनाव से निपटना, रोजगार पैदा करना, कैपिटल एक्सपेंडिचर की रफ्तार को बनाए रखना जैसी पॉलिसी प्राथमिकताएं प्रमुखता से हावी रहेंगी. इन सब चुनौतियों से निपटते हुए राजकोषीय घाटे को काबू पर रखने के लिए रेवेन्यू में बढ़ोतरी के रास्ते पर लगातार आगे बढ़ना होगा.
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