FMCG Companies Price Hike: एफएमसीजी या फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियां अब कीमतें बढ़ाने वाली हैं और इसके लिए भारत में पांच प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों ने हां भी कर दी है. महंगाई दर बढ़ने और कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव का हवाला देते हुए एफएमसीजी कंपनियां मूल्य वृद्धि की भविष्यवाणी कर चुकी हैं. एफएमसीजी कंपनियां वॉल्यूम ग्रोथ को बरकरार रखने के लिए कीमतें 4-10 फीसदी तक बढ़ाने पर विचार कर रही हैं, बस ये देखना है कि कब तक इसका ऐलान होता है. 


आरबीआई गवर्नर भी खाद्य महंगाई पर जता चुके चिंता


आज रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी के ऐलानों के बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि खाद्य महंगाई ने आरबीआई की चिंता बढ़ा रखी है. रिटेल महंगाई दर में 46 फीसदी वेटेज खाद्य महंगाई का आ रहा है. मई और जून की रिटेल महंगाई दर में तो फूड इंफ्लेशन का योगदान 75 फीसदी रहा है.


ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज ने कहा- थोड़ी कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी


इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर वरुण बैरी ने एनालिस्ट कॉल में कहा था कि आने वाले महीनों में भी महंगाई दर 4-5 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है और अगर ऐसा होता है तो हमें थोड़ी-थोड़ी कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी. पहली तिमाही नतीजों के बाद एनालिस्ट कॉल में ब्रिटानिया के एमडी ने साफ कहा- "हम जो कर सकते थे वो हम कर चुके. पिछले काफी समय से हमने दामों में बढ़ोतरी नहीं की है लेकिन अब कंसोलिडेशन शुरू करने का समय आ गया है."


डाबर इण्डिया लिमिटेड ने फूड बिजनेस में रेट बढ़ाने का दिया इशारा


डाबर के चीफ एग्जीक्यूटिव मोहित मल्होत्रा ने कहा कि खाने-पीने के सामान की महंगाई दर बढ़ने के चलते हमें शायद अपने फूड बिजनेस में कुछ कीमतों बढ़ानी होंगी. ये इजाफा 2 फीसदी तक का हो सकता है. बता दें कि डाबर ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स में 6 फीसदी का प्राइस हाईक किया था. वहीं होम एंड पर्सनल कैटेगरी में 1.5 फीसदी दाम बढ़ाए थे.


पारले प्रोडक्ट्स ने भी दाम बढ़ाने का रास्ता अपनाया


पारले प्रोडक्ट्स के वाइस प्रेसिडेंट मयंक शाह ने भी माना है कि चीनी और कोको के दाम बढ़ने की वजह से उन्हें भी अपने प्रोडक्ट्स महंगे करने पड़ेंगे. कंपनी ने अपने कुछ ब्रांड्स के रेट पहले ही बढ़ा दिए हैं. कंपनी के लिए चीनी, आटा, कोको मुख्य रूप से कच्चा माल है और बढ़ती महंगाई दर के चलते रेट हाइक का रास्ता लेना ही पड़ेगा. हालांकि ये बढ़ोतरी उतनी नहीं होगी जितनी कोविड के संकटकाल की वजह से करनी पड़ी थी.


HUL का क्या है कहना


हिंदुस्तान यूनिलीवर के मुताबिक चायपत्ती को छोड़कर ज्यादातर कमोडिटी के दाम स्थिर बने रहेंगे. एक एनालिस्ट कॉल में एचयूएल के शीर्ष अधिकारी कह चुके हैं कि चाय को लेकर हम भरोसा नहीं दिला सकते लेकिन इस वित्त वर्ष के बाकी बचे महीनों में सिंगल डिजिट प्राइसिंग देखी जा सकती है.


मोंडेलेज इंडिया फूड्स प्राइवेट लिमिटेड


पिछले हफ्ते ही मॉन्डेलेज के ग्लोबल चेयरमैन और सीईओ Dirk Van de Put ने कहा कि खाद्य महंगाई दर का लोअर और मिडिल-क्लास परिवारों के घर खर्च पर असर देखा जाएगा. मोंडेलेज इंडिया कैडबरी डेयरी मिल्क और टोबलेरोन जैसे लोकप्रिय चॉकलेट ब्रांडों के लिए मशहूर है. 


FMCG कंपनियां क्यों बढ़ाने वाली हैं दाम- जानें 3 कारण



  1. ब्रिटानिया, पारले, डाबर और मॉन्डेल्ज जल्द ही अपने प्रोडक्ट्स के दाम 4-10 फीसदी बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.

  2. कोको, आटा और चीनी के दाम बढ़े हैं जिसके चलते इनके उत्पादों की लागत बढ़ गई है और अब कंपनियां दाम बढ़ाने के लिए तैयार हैं.

  3. लंबे समय यानी कई तिमाहियों से मांग को बढ़ाने के लिए एफएमसीजी कंपनियों ने कीमतें बढ़ाने का फैसला रोका हुआ था. अब बढ़ती खाद्य महंगाई दर और ग्लोबल कमोडिटी कीमतों में इजाफे का बोझ ग्राहकों पर डालना ही होगा. 


आटा, चीनी, कोको के दाम अब तक कितने बढ़े


पैकेज्ड फूड कंपनियों के लिए आटे के दाम 2 सालों में 20 फीसदी तक बढ़ चुके हैं.


चीनी के दाम 2 सालों में 40 फीसदी तक बढ़ चुके हैं.


पैकेज्ड फूड कंपनियों के लिए आटे के दाम 2 सालों में 60 फीसदी तक बढ़ चुके हैं.


कोविडकाल के बाद क्यों घटाए गए थे दाम


एफएमसीजी इंडस्ट्री को कोविडकाल के बाद मांग की कमी का सामना करना पड़ा था, जबकि ऊंचे इनपुट लागत की भरपाई के लिए कोविड के बाद दो सालों में कीमतों में लगभग एक चौथाई की बढ़ोतरी की थी. अब जब कंज्यूमर सस्ते उत्पादों को साफ तौर पर लेना पसंद कर रहे हैं तो पिछली चार तिमाहियों में कीमतों में कटौती की थी.


एफएमसीजी सेक्टर के लिए आगे है सुनहरा भविष्य


Crisil की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एफएमसीजी सेक्टर इस वित्त वर्ष में 7-9 फीसदी की दर से ग्रोथ हासिल कर सकेगा. अगर आपने गौर किया हो तो याद करें कि 4 जून को देश के लोकसभा चुनाव नतीजों के दिन जब भारतीय शेयर बाजार टूटा था तो केवल एफएमसीजी सेक्टर ही बढ़त पर था. शहरी मांग के बने रहने और ग्रामीण मांग के जोर पकड़ने के चलते वॉल्यूम ग्रोथ में रफ्तार बनी रहेगी. रीजनल या लोकल ब्रांड्स के लिए लोगों की रुचि बनी रहेगी, खासतौर से चाय, स्नैक्स और बिस्कुट के मामले में क्योंकि इनके दाम कम होते हैं.


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