शेयर बाजार में जल्दी से माटी कमाई कराने वाले तरीकों में ऑप्शन ट्रेडिंग सबसे लोकप्रिय है. हालांकि इस तरह की ट्रेडिंग में रिस्क भी बहुत ज्यादा होते हैं. इसी कारण आम लोगों को अनुभव होने तक ऑप्शन ट्रेडिंग से दूर रहने की सलाह दी जाती है. आज हम आपको ऑप्शन ट्रेडिंग के 5 ऐसे तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हर तरह के बाजार में कम करता है.


आपको यह तो पता चल जाता है कि बाजार ऊपर, नीचे या फिर साइडवेज जा सकता है, लेकिन क्या आपको यह पता है कि ऑप्शंस ट्रेडिंग से जुड़ी ऐसी विभिन्न रणनीतियां हैं, जिन्हें आप किसी भी तरह की बाजार स्थिति के लिए अपना सकते हैं? इन रणनीतियों को सही तरीके से अमल में लाकर आपको अपने लाभ को अधिक-से-अधिक बढ़ाने और अपने नुकसान को सीमित करने में मदद मिल सकती है. इस ब्लॉग में हम बाजार के तीनों रुझानों ‘तेजी, मंदी और रेंज-बाउंड’ के लिए रणनीतियों की चर्चा करेंगे.


बुलिशः जब बाजार के मौजूदा स्तर से ऊपर जाने की उम्मीद होती है.


1: बुल कॉल स्प्रेड: ये ऐसी रणनीति है, जिसमें ट्रेडर एक कॉल ऑप्शन खरीदता है और उसके ऊपर की स्ट्राइक प्राइस का कॉल ऑप्शन बेचता है. शर्त यह है कि दोनों कॉल ऑप्शन एक ही एक्सपीयरी डेट के होने चाहिए.


2: बुल पुट स्प्रेड: ये ऐसी रणनीति है जिसमें ट्रेडर एक पुट ऑप्शन की बिक्री करता है और कम स्ट्राइक प्राइस पर दूसरा पुट ऑप्शन खरीदता है. दोनों पुट ऑप्शंस की एक्सपायरी डेट एक ही होनी चाहिए. यह रणनीति तब अमल में लाई जाती है जब विक्रेता को लगता है कि अंडरलाइंग का भाव बढ़ेगा या उसी स्तर पर बना रहेगा.


बियरिश: जब बाजार के मौजूदा स्तर से नीचे गिरने की आशंका होती है.


3: बियर पुट स्प्रेड: ये ऐसी रणनीति है जिसमें ट्रेडर एक स्ट्राइक प्राइस पर एक पुट ऑप्शन खरीदता है और कम स्ट्राइक प्राइस पर दूसरे पुट ऑप्शन की बिक्री करता है. खरीदे जाने और बिक्री किए जाने वाले दोनों ऑप्शंस की एक्सपायरी डेट समान होगी. इस रणनीति में एक्सपायरी से पहले अंडरलाइंग की कीमत में गिरावट का लाभ उठाया जाता है.


4: बियर कॉल स्प्रेड: ये ऐसी रणनीति है जिसमें ट्रेडर एक कॉल ऑप्शन की बिक्री करता है और उच्च स्ट्राइक प्राइस पर दूसरे कॉल ऑप्शन को खरीदता है. दोनों ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी डेट एक ही होनी चाहिए. इस रणनीति का उपयोग तब करें जब आपको लगता है कि आप जिस ऑप्शन की बिक्री कर रहे हैं, एक्सपायरी के बाद, अंडरलाइंग का प्राइस नीचे जाएगा या उस ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस से नीचे रहेगा.


रेंज-बाउंड: जब आपको लगता है कि बाजार एक सीमित दायरे में रहेगा.


5: शॉर्ट स्ट्रैडल: शॉर्ट स्ट्रैडल, परिभाषित लाभ और संभावित रूप से असीमित नुकसान वाली तटस्थ रणनीति है. इसमें एक ही स्ट्राइक प्राइस और एक ही एक्सपायरी डेट के साथ कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन की बिक्री शामिल होती है. ट्रेडर्स इस रणनीति को तब अपनाते हैं जब उन्हें इस बात की उम्मीद होती है कि एक्सपायरी से पहले एक दायरे में अंडरलाइंग का प्राइस बढ़ेगा या घटेगा, यानी ट्रेडर्स को यह उम्मीद होती है कि एक सीमित दायरे में सुरक्षा बनी रहेगी और अस्थिरता काफी कम होगी.


इन रणनीतियों को समझकर और उन्हें अपनाकर, ट्रेडर्स रिस्क को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं और बाजार के विभिन्न रुझानों का लाभ उठा सकते हैं.


डिस्‍क्‍लेमर- लेखक अपस्‍टॉक्‍स के डायरेक्‍टर हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अपने वित्‍तीय सलाहकार की राय जरूर लें.


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