शेयर बाजार में ऑप्शन ट्रेडिंग लोगों को खूब आकर्षित करता है. यह ट्रेडिंग मोटी कमाई कराने में मददगार साबित होता है, हालांकि इसमें उतरने के अपने जोखिम भी हैं. अगर आप भी ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने का मन बना रहे हैं तो सबसे पहले आपको कुछ जरूरी चीजें समझ लेनी चाहिए. आज हम आपको 5 ऐसी जरूरी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं.


सड़क के नियमों की तरह अहम


कल्पना कीजिए कि आप एक ड्राइवर हैं और आपने किसी स्थान की यात्रा के लिए सड़क मार्ग से जाने के लिए योजना बनाई है. इससे पहले कि आप चलना शुरू करें, यह महत्वपूर्ण है कि आप सड़क के नियमों को जानें तथा यातायात के संकेतों और विभिन्न प्रतीकों के अर्थ को समझें. इस जानकारी से आपको सुरक्षित रूप से ड्राइव करने और सोच-विचार कर निर्णय लेने में मदद मिलेगी.


नुकसान से बचने में मिलेगी मदद


ऑप्शंस से जुड़ी शब्दावली को समझना भी सड़क के नियमों को जानने के जैसा है. विश्वास के साथ ट्रेडिंग करने के लिए, आपको कॉल ऑप्शन, पुट ऑप्शन, स्ट्राइक प्राइस, इंट्रिन्सिक वैल्यू और एक्सपायरी का समय जैसी शब्दावलियों को समझना चाहिए. ठीक वैसे ही जैसे आपको सड़क के संकेतों को समझना चाहिए. इससे आपको बाजार में आपके व्यवहार और संभावित नुकसान से बचने में मदद मिलेगी.


क्या होता है ऑप्शन


जैसा कि आप सभी जानते हैं, ऑप्शंस एक डेरिवेटिव अनुबंध है, जो उसके धारक को एक निश्चित तिथि पर पूर्वनिर्धारित मूल्य पर सिक्योरिटी खरीदने या बेचने का अधिकार देता है. ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट अंतर्निहित प्रतिभूति से अपना मूल्य प्राप्त करता है. आइए अब ऑप्शन ट्रेडिंग के दौरान आपके सामने आने वाले सामान्य रूप से उपयोग होने वाले शब्दों को समझें. 


कॉल एंड पुट: दो प्रकार के ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट उपलब्ध हैं- कॉल एंड पुट. कॉल ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट के धारक को अंतर्निहित खरीदने, और पुट ऑप्शंस अंतर्निहित को बेचने का अधिकार देते हैं. ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स को सभी बाजार स्थितियों में ट्रेड किया जा सकता है, चाहे वह ऊपर, नीचे या साइडवेज में हो. 


एक्सपायरी डेट: एक्सपायरी डेट वह तारीख/दिन है जब कोई कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो जाता है. स्टॉक ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की ट्रेडिंग 3 महीने तक की जा सकती है. स्टॉक ऑप्शंस हर महीने के अंतिम गुरुवार को एक्सपायर हो जाते हैं. हालांकि, इंडेक्स ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स (निफ्टी 50 और बैंक निफ्टी) की ट्रेडिंग साप्ताहिक और मासिक आधार पर की जा सकती है. निफ्टी 50 ऑप्शंस गुरुवार को एक्सपायर हो जाते हैं और एनएसई द्वारा जारी किए गए नए सर्कुलर के मुताबिक, बैंक निफ्टी ऑप्शंस शुक्रवार को एक्सपायर हो जाएंगे.


ओपन इंट्रेस्ट: प्राइस डेटा के साथ लिया गया ओपन इंट्रेस्ट ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए मार्केट सेंटिमेंट्स का अंदाजा लगाने में मदद करता है. यह किसी विशेष कॉन्ट्रैक्ट में ओपन पोजिशंस की कुल संख्या को ट्रैक करता है, जो ट्रेडर्स द्वारा एक्टिव ट्रेडों के रूप में रखे जाते हैं. यह एक महत्वपूर्ण संकेतक है क्योंकि यह दिखाता है कि कोई विशेष बाजार ऊपर, नीचे या साइडवेज में चल रहा है या नहीं.


स्ट्राइक प्राइस: यह स्टॉक एक्सचेंज द्वारा प्रदान की गई एक पूर्व निर्धारित कीमत है. यह वह मूल्य है, जिस पर खरीदार खरीदने के लिए सहमत होता है और विक्रेता ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट बेचने के लिए सहमत होता है. स्ट्राइक प्राइस को एक्सरसाइज प्राइस भी कहा जाता है. जब आप कॉल ऑप्शन खरीदते हैं, तो आपको अंतर्निहित सिक्योरिटी खरीदने का अधिकार मिलता है. इसी तरह, जब आप पुट ऑप्शन खरीदते हैं, तो आपको अंतर्निहित सिक्योरिटी बेचने का अधिकार मिलता है. उस 'राइट' को सक्रिय करने की प्रक्रिया को ऑप्शंस का 'एक्सरसाइज' कहा जाता है.


इंट्रिन्सिक वैल्यू: एक्सपायरी पर ऑप्शन का या तो कोई वैल्यू होता है या वो बगैर मूल्य के एक्सपायर हो जाता है. अगर कोई ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट तुरंत एक्सपायर होने वाला है, तो इस समय उसका जो वैल्यू है, उससे इनट्रिन्सिक वैल्यू कहते हैं. अंतर्निहित की कीमत और ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस के अंतर को इनट्रिन्सिक वैल्यू कहते हैं. कॉल के लिए, इंट्रिन्सिक वैल्यू अंतर्निहित मूल्य और स्ट्राइक मूल्य के बीच का अंतर है. पुट के लिए, यह स्ट्राइक मूल्य और अंतर्निहित परिसंपत्ति के मूल्य के बीच का अंतर है. अगर ये अंतर निगेटिव है, तब पुट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का इनट्रिन्सिक वैल्यू शून्य होगा.


हालांकि यह एक विस्तृत सूची नहीं है, लेकिन इन प्रमुख शब्दों को जानने से ट्रेडर्स को ऑप्शंस में ट्रेडिंग शुरू करने में मदद मिल सकती है. इसलिए, जिस तरह एक ड्राइवर सड़क के संकेतों का अध्ययन करता है, समय निकालकर ऑप्शंस की शब्दावली को समझें ताकि आप आत्मविश्वास और सफलता के साथ अपनी ट्रेडिंग यात्रा शुरू कर सकें.


डिस्‍क्‍लेमर- लेखक अपस्‍टॉक्‍स के डायरेक्‍टर हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अपने वित्‍तीय सलाहकार की राय जरूर लें.


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