शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक हुई, इस बैठक के पहले कयास लगाएं जा रहे थे कि Swiggy, Zomato जैसे फूड डिलीवरी ऐप से खाना मंगाना अब ग्राहकों को थोड़ महंगा पड़ सकता है, और इस काउंसिल में डिलीवरी पर जीएसटी की दरें बढ़ाई जा सकती है. पर ऐसा नहीं हुआ.. आज हम आपको बताएंगे कि जीएसटी काउंसिल में फूड डिलीवरी को लेकर क्या महत्वपूर्ण बातें हुई और इसका प्रभाव आप पर कैसे पड़ेगा.
रेस्टोरेंट नहीं Zomato, Swiggy वसूलेंगे GST
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि रेस्टोरेंट के स्थान पर अब फूड डिलीवरी ऐप जीएसटी वसूल करेंगे. इसका अर्थ साफ है कि जिस रेस्टोरेंट से खाना ऑर्डर किया जाएगा अब वहां रेस्टोरेंट के स्थान पर फूड डिलीवरी ऐप Zomato, Swiggy 5 फीसदी जीएसटी वसला करेंगी. ऐप यह कार्य 1 जनवरी 2022 से करेंगी.
फूड डिलीवरी नहीं होंगे महंगे
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल के बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि Swiggy, Zomato जैसे फूड डिलीवरी ऐप पर जीएसटी लगाने को लेकर विचार किया गया, लेकिन इस मामले में कई ऐसे मुद्दे उठे जिसपर स्प्ष्टता का अभाव रहा, इस कारण काउंसिल इन डिलीवरी सेवा पर किसी तरह का नया टैक्स लगाने का फैसला नहीं किया है. पर इस बात पर सभी की सहमति बनी है कि फूड डिलीवरी के समय डिलीवरी के जगह पर ऐप टैक्सी यानी डिलीवरी पॉईंट पर टैक्स जमा करेंगी और फिर बाद में उसका भुगतान करेंगी. यह ऐप वह टैक्स वसूलेंगे जो रेस्त्रां वाले लेते हैं.
पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में नहीं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने काउंसिल के बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि पेट्रोल-जीजल को जीएसटी के अंदर लाने के लिए इस परिषद में बातचीत हुई. इसपर चर्चा का कारण बस केरल हाईकोर्ट के एक आदेश के पूर्ति के लिए किया गया इसलिए इसे एजेंडा में शामिल किया गया. लेकिन जीएसटी काउंसिल ने अभी इसे जीएसी के दायरे में शामिल नहीं करने का फैसला किया है, और परिषद में इस बात पर सहमति बनी है कि अभी इसका सही समय नहीं आया है.
आपको बता दें कि जीएसटी काउंसिल की यह बैठक करीब 2 साल के बाद आमने सामने बैठकर हुई है. बीते साल कोरोना महामारी के कहर के वजह से यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम के जरिए हुई थी. वित्त मंत्री द्वारा बुलाई गई इस बैठक में राज्य के वित्त मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया.
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