Food Inflation May Rise: जनवरी महीने में खुदरा महंगाई दर में उछाल ने चिंता बढ़ा दी है लेकिन सबसे बड़ी परेशानी का सबब बनी है खाद्य महंगाई दर में उछाल जो दिसंबर के 4.19 फीसदी के मुकाबले जनवरी 2023 में 5.94 फीसदी पर जा पहुंची है. लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में खाद्य महंगाई और भी परेशान कर सकती है. कई रिसर्च रिपोर्ट्स का मानना है कि इस वर्ष अल नीनो के असर के चलते सूखे जैसे हालात पैदा हो सकते हैं जिससे खाद्यान्न उत्पादन में कमी आ सकती है.
महंगाई से राहत नहीं!
अमेरिका से जुड़ी संस्था एमओएए (National Oceanic and Atmospheric Administration) जून से दिसंबर 2023 के बीच अल नीनो के आने की संभावना जताई है. इससे भारत में मानसून पर असर पड़ सकता है. ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल ने कहा कि बीते 20 वर्ष में जब भी सूखा पड़ा है वो अल नीनो के चलते हुआ है. रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि अल नीनो के चलते सूखा पड़ सकता है जिससे खाद्य वस्तुओं के सप्लाई पर दबाव देखने को मिल सकता है जिसका असर कीमतों पर पड़ सकता है. खाद्य वस्तुओं महंगी हो सकती है.
वित्त मंत्रालय ने जनवरी महीने के लिए जो मंथली इकोनॉमिक रिव्यू जारी किया है उसमें कहा गया है कि मौसम से जुड़ी जानकारी देने वाली एजेंसियों ने भविष्यवाणी की है कि भारत में अल नीनो जैसे हालात देखने को मिल सकते हैं. अगर ये भविष्यवाणी सच साबित हुई कि इसका असर मानसून पर देखने को मिल सकता है. बारिश में कमी देखने को मिल सकती है. इससे कृषि उत्पादन कम रह सकता है जिससे खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
क्या है अल नीनो और ला नीना
अल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है, जिसका असर मौसम पर देखा जाता है. अल नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है और ला नीना के कारण ठंडक ज्यादा होती है. अल नीनो के चलते ठंड के मौसम में भी गर्मी रहती है, जबकि गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ जाता है और सूखे जैसे हालात पैदा हो जाते हैं. इसके असर से बारिश होने वाले क्षेत्रों में बदलाव देखने को मिलता है. कम बारिश वाली जगहों पर ज्यादा बारिश होती है. अल नीनो के सक्रिय होने पर भारत में कम बारिश होती है.
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