खाने-पीने की चीजें महंगी होने से खुदरा महंगाई दर 6.09 फीसदी पर पहुंच गई है. सरकार की ओर से अप्रैल और मई में महंगाई के आंकड़े जारी नहीं किए गए थे. जून में देश भर में आर्थिक गतिविधियों में पर्याप्त तेजी न होने के बावजूद महंगाई में इजाफा आरबीआई और सरकार के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है.


खुदरा महंगाई दर में इस इजाफे की सबसे बड़ी वजह खाद्य वस्तुओं का महंगा होना है. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक जून में खाद् महंगाई दर में 7.87 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर अधिक रही. ग्रामीण इलाकों में खुदरा महंगाई दर 6.2 फीसदी रही जबकि शहरी इलाकों में यह 5.9 फीसदी रही. कपड़े, फुटवियर, पान, तंबाकू और नशीले पदार्थ के दाम  बढ़ने से भी  महंगाई में इजाफा हुआ.


महंगाई और बढ़ने की आशंका


विश्लेषकों का कहना है कि खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई को काबू करना मुश्किल हो रहा है. आने वाले दिनों में खाद्य महंगाई और बढ़ेगी. सब्जियों के दाम में अभी यह दिखने लगा है. आगे महंगाई को काबू करना इसलिए ज्यादा मुश्किल होगा कि डीजल के दाम नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं. इससे चीजों की ढुलाई की लागतें बढ़ गई है. महंगाई दर पर इसका निश्चित असर पड़ेगा.


डीजल की महंगाई का असर मैन्यूफैक्चरिंग पर भी पड़ने लगा है. इसलिए आने वाले दिनों में फैक्टरियों में बनने वाले सामानों के दाम में भी तेज इजाफा देखने को मिल सकता है.महंगाई में इस इजाफे ने रिजर्व बैंक के सामने चुनौती खड़ी कर दी है. मौजूदा खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक के रेंज से ज्यादा है.इस वजह से आने वाले दिनों में ब्याज दरों में कटौती का फैसला भी यह खुल कर नहीं ले पाएगा. आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बन रही थी लेकिन अब यह मुश्किल लगने लगा है.