कोरोना संकट के बावजूद भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों का भरोसा बरकरार, FDI में 15 फीसदी इजाफा
जिन सेक्टरों में सबसे अधिक एफडीआई आया वे हैं- कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, सर्विसेज, ट्रेडिंग, केमिकल और ऑटोमोबाइल.
![कोरोना संकट के बावजूद भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों का भरोसा बरकरार, FDI में 15 फीसदी इजाफा Foreign Investor upbeat on India, FDI up 15 Percent to 30 billion dollar in 1st half of fiscal year कोरोना संकट के बावजूद भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों का भरोसा बरकरार, FDI में 15 फीसदी इजाफा](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/06/13030341/fdi-1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
कोरोना संकट के बावजूद भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों का विश्वास बना हुआ है. मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत में एफडीआई 15 फीसदी बढ़ कर 30 अरब डॉलर पर पहुंच गया. डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड यानी DPIIT के आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 के दौरान अप्रैल-सितंबर में एफडीआई 26 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. जुलाई में देश में 17.5 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था.
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर-हार्डवेयर में सबसे अधिक एफडीआई
जिन सेक्टरों में सबसे अधिक एफडीआई आया वे हैं- कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, सर्विसेज, ट्रेडिंग, केमिकल और ऑटोमोबाइल. कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में 17.55 अरब डॉलर का एफडीआई, जबकि ट्रेडिंग में 949 अरब डॉलर का एफडीआई आया. केमिकल सेक्टर में 437 मिलियन डॉलर और ऑटोमोबाइल सेक्टर में 417 मिलियन डॉलर का एफडीआई आया.
सबसे ज्यादा एफडीआई सिंगापुर से
सबसे ज्यादा एफडीआई सिंगापुर से आया. सिंगापुर 8.3 अरब डॉलर के निवेश के साथ भारत में FDI का सबसे बड़ा स्रोत बनकर उभरा है. इसके बाद अमेरिका (7.12 अरब डॉलर), केमैन आइलैंड्स (2.1 अरब डॉलर), मॉरीशस (दो अरब डॉलर), नीदरलैंड (1.5 अरब डॉलर), ब्रिटेन (1.35 अरब डॉलर), फ्रांस (1.13 अरब डॉलर) और जापान (65.3 करोड़ डॉलर) का नंबर है.
DPIIT के मुताबिक विदेशी कंपनियों की आय के पुनर्निवेश को जोड़कर कुल FDI करीब 40 अरब डॉलर रहा. 2008 से 2014 के बीच देश में कुल एफडीआई इनफ्लो 231.37 अरब डॉलर की तुलना में साल 2014 से 2020 में 55 फीसदी उछलकर 358.29 अरब डॉलर हो गया है. पिछले कुछ सालों से भारत एफडीआई के मामले में बेहतरीन निवेश डेस्टिनेशन बन कर उभरा है. दरअसल भारत में कई कंपनियों में विदेशी निवेश और सौदों की वजह से एफडीआई में इजाफा हुआ है.
देश की अर्थव्यवस्था में दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट
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