लॉकडाउन खुलने से भारतीय बाजार में निवेशकों का विश्वास लौटने लगा है. इमर्जिंग मार्केट्स में निवेश के लिहाज से भारत की स्थिति अच्छी थी. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण को काबू करने के लिए लगे लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों को जो चोट पहुंची उससे निवेशक इससे दूर होने लगे. पर अब निवेशक काफी तेजी से लौटे हैं. इसका सबूत है विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से भारतीय बाजार में 23,000 करोड़ का ताजा निवेश.
पैसा निकालने वाले अब तेजी से कर रहे निवेश
विदेशी फंडों ने शेयर बाजार के पिछले सात कारोबारी सत्रों में 23 हजार करोड़ रुपये की शेयरों की खरीदारी की. जबकि मार्च में इन्होंने 58,600 करोड़ रुपये निकाल लिए थे. अप्रैल में 4,100 करोड़ रुपये निकाले थे.
फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर यानी FPI ने जून के पहले सप्ताह में 18,589 करोड़ रुपये का निवेश किया था. एक्सपर्ट्स के मुताबिक पिछले दिनों रिलायंस का राइट इश्यू बंद हुआ था और इसे जोरदार सब्सक्रिप्शन मिला था. इसके अलावा कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी उदय कोटक ने भी बैंक में अपनी 2.8 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी. इसमें भी विदेशी निवेशकों का फंड आया.
एक्सपर्ट्स का कहना है फॉरेन पोर्टफोलियो मैनेजर ज्यादा खरीदारी के बजाय उन चुनिंदा कंपनियों के शेयर खरीद रहे हैं, जिनमें भले ही अभी ग्रोथ कम दिख रहा लेकिन आर्थिक गतिविधियां तेज होते ही इनमें तेज रफ्तार दिखेगी.
राहत पैकेज ने दी रफ्तार
इससे पहले विदेशी निवेशक लगातार बाजार से पैसा निकाल रहे थे. मार्च में उन्होंने 1.1 लाख करोड़ रुपये की निकासी की थी वहीं अप्रैल में 15,403 करोड़ रुपये निकाले थे. मई में 7,366 करोड़ रुपये निकाले थे. लेकिन जून में स्थिति पूरी तरह बदल गई. पहले सप्ताह में उन्होंने 18,589 करोड़ रुपये का निवेश किया. दरअसल सरकार की ओर से 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज और आरबीआई की ओर से लिक्वडिटी सुधारने के कदम उठाने से बाजार में निवेशकों का विश्वास बढ़ा है. इससे उनमें जोखिम लेने के हौसले में इजाफा हुआ है. दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियों के धीरे-धीरे पटरी पर आने की वजह से विदेशी निवेशक अब अपना रिटर्न बढ़ाने की उम्मीद में बेहतर बाजार की तलाश में हैं.