FPI Holdings: भारतीय शेयर बाजार से दूर भागे FPI, होल्डिंग में आई 11 फीसदी की गिरावट
FPI Investments: साल 2022 दुनिया भर के शेयर बाजारों के लिए खराब साबित हुआ. तुलनात्मक तौर पर भारतीय बाजार ने कुछ बेहतर प्रदर्शन तो किया, लेकिन इसके बाद भी एफपीआई लगातार बिकवाल बने रहे...
Foreign Portfolio Investment: पिछला साल दुनिया भर के शेयर बाजारों (Share Markets) के लिए ठीक नहीं रहा. भारतीय बाजार (Indian Equities) भी इस ट्रेंड से अछूते नहीं रहे. हालांकि अन्य कई प्रमुख बाजारों की तुलना में घरेलू बाजारों ने बेहतर प्रदर्शन किया. इसके बाद भी पूरे साल एफपीआई (FPI) की बेरुखी कायम रही और वे बिकवाल बने रहे. इस कारण साल के अंत यानी दिसंबर 2022 के अंत तक घरेलू शेयरों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors) की होल्डिंग में ठीक-ठाक गिरावट देखने को मिली.
इन कारणों से हुई बिकवाली
मॉर्निंगस्टार की ताजी रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2022 के अंत तक भारतीय इक्विटीज में एफपीआई की होल्डिंग (FPI Holdings) 584 बिलियन डॉलर रही. यह साल भर पहले यानी दिसंबर 2021 की तुलना में 11 फीसदी कम रहा. इसका मुख्य कारण घरेलू शेयर बाजारों से विदेशी पूंजी की भारी निकासी और भारतीय शेयर बाजारों का कम रिटर्न रहा.
तिमाही आधार पर हुआ सुधार
रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2021 के अंत में भारतीय इक्विटीज में एफपीआई की होल्डिंग 654 बिलियन डॉलर पर थी. यह दिसंबर 2022 में कम होकर 584 बिलियन डॉलर पर आ गई. हालांकि तिमाही आधार पर देखें तो एफपीआई का निवेश बढ़ा है. सितंबर 2022 तिमाही की तुलना में दिसंबर 2022 तिमाही के दौरान एफपीआई की होल्डिंग में 03 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इस तरह दिसंबर 2022 की तिमाही लगातार दूसरी ऐसी तिमाही साबित हुई, जब भारतीय शेयर बाजारों में एफपीआई की होल्डिंग में तेजी देखी गई.
इसके चलते भारतीय शेयर बाजारों के बाजार पूंजीकरण (MCap) में भी एफपीआई की हिस्सेदारी बढ़ी. सितंबर 2022 तिमाही में जहां यह हिस्सेदारी 17.12 फीसदी थी, वह दिसंबर 2022 तिमाही में बढ़कर 17.12 फीसदी पर पहुंच गई.
भारतीय बाजार ने दिया ऐसा रिटर्न
शेयर बाजारों की बातें करें तो साल 2020 और 2021 शानदार साबित हुआ था. वहीं साल 2022 तमाम चुनौतियों से भरा रहा. इसके कारण दुनिया भर के शेयर बाजारों का प्रदर्शन खराब रहा. हालांकि घरेलू शेयर बाजार फिर भी तुलनात्मक तौर पर उन चुनिंदा बाजारों में शामिल रहा, जिन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया. बीएसई सेंसेक्स ने 2022 के दौरान 4.44 फीसदी का रिटर्न दिया, जबकि मिडकैप इंडेक्स ने 1.38 फीसदी का रिटर्न दिया. स्मॉल कैप इंडेक्स का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा और इसका रिटर्न निगेटिव रहा.
पिछले साल हुई इतनी निकासी
भारतीय बाजारों के प्रदर्शन पर पिछले साल सबसे बड़ा असर विदेशी पूंजी का हुआ. विदेशी निवेशकों ने पूरे साल के दौरान भारतीय बाजारों से 16.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 1.21 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की. इस लिहाज से 2022 एफपीआई के लिए सबसे बुरा साल साबित हुआ. इससे पहले लगातार तीन सालों से एफपीआई भारतीय बाजार में शुद्ध निवेशक बने हुए थे.
इस साल भी वही कहानी
इस साल भी अभी तक कमोबेश 2022 का ही ट्रेंड जारी है. रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 10 फरवरी तक एफपीआई भारतीय बाजारों से करीब 4.7 बिलियन डॉलर की निकासी कर चुके हैं. रिपोर्ट का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार के अधिक मूल्यांकन के कारण विदेशी निवेशकों ने वैसे बाजारों का रुख किया, जो वैल्यू के हिसाब से आकर्ष लगे. इसके अलावा अडानी समूह (Adani Group) से जुड़े हालिया विवाद ने भी नकारात्मक योगदान दिया और विदेशी निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया.
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