भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) में परिस्थितियों में हो रहा सुधार विदेशी निवेशकों (Foreign Investors) के ट्रेंड में भी दिखने लगा है. विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (Foreign Portfolio Investors) बीते 14 दिनों से इंडियन इक्विटीज में लगातार शुद्ध खरीदार बने हुए हैं. इस पिछले 3 सालों के दौरान भारतीय बाजार में एफपीआई (FPI Buying) की सबसे लंबी लगातार खरीदारी है.


इतना मजबूत हुआ निफ्टी50


बाजार के बड़े इन्वेस्टर्स में से एक नीलेश शाह (Nilesh Shah) ने एक ट्वीट कर बताया कि एफपीआई ने पिछले 14 दिनों में भारतीय बाजार में 2.74 बिलियन डॉलर यानी करीब 22,579 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की है. वहीं इन 14 दिनों के दौरान निफ्टी50 में करीब 3 फीसदी की तेजी आई है. इन 14 दिनों में से 10 सेशन में निफ्टी50 तेजी के साथ बंद हुआ है.


म्यूचुअल फंड कर रहे हैं मदद


कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट (Kotak Mahindra Asset Management) के शाह ने कहा कि भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों के इस तरह आकर्षित होने का एक बड़ा कारण म्यूचुअल फंड हैं. म्यूचुअल फंड के चलते एफपीआई को लगता है कि भारतीय बाजार से निकलना आसान है, लेकिन एंट्री लेना मुश्किल.


काम आ रहा आरबीआई का उपाय


भारतीय बाजार में एफपीआई की बिकवाली पर अप्रैल में ब्रेक लगा है और वे लिवाली की राह पर लौट आए हैं. इसके लिए कई फैक्टर्स को जिम्मेदार माना जा रहा है. रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में पिछले साल मई से चली आ रही लगातार वृद्धि (RBI Repo Rate Hike) रोक दी है. देश में खुदरा महंगाई दर में आई गिरावट से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले समय में भी ब्याज दरें स्थिर बनी रहेंगी. इससे एफपीआई को प्रोत्साहन मिला है.


ये फैक्टर भी कर रहे हैं सपोर्ट


इसके अलावा मार्च तिमाही के रिजल्ट सीजन ने भी धारणा बेहतर बनाने में मदद की है. मार्च तिमाही के लिए कंपनियों के तिमाही परिणाम बाजार की उम्मीदों के अनुरूप हैं और अभी तक कोई बड़ा झटका नहीं लगा है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed Reserve) ने भी ब्याज दरें नहीं बढ़ाने का संकेत दिया है. इन सब कारणों से एफपीआई भारत में लिवाल बने हैं और जिसके दम पर अप्रैल महीने में निफ्टी करीब 5 फीसदी उछलने में सफल रहा.


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