Gold Reserve: भारत के खजाने में विदेशी मुद्रा लगातार घटती चली जा रही है और हालत यह हो गई है कि 13 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह में देश का विदेशी  मुद्रा भंडार 1.9 अरब डॉलर घटकर काफी नीचे पहुंच गया है. यह 653 अरब डॉलर के साथ छह महीने के सबसे निचले स्तर पर है. छह दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 3.2 अरब डॉलर घटकर 655 अरब डॉलर पर पहुंचा था. विदेशी मुद्रा भंडार घटने का सीधा मतलब यह है कि जितनी विदेशी मुद्रा देश में आ रही है उससे अधिक यहां से जा रही है. साफ है कि देश में निर्यात के मुकाबले आयात काफी अधिक हो रहा है जो बताता है कि देश की जरूरत के मुताबिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन नहीं हो पा रहा है. उसे दूसरे देशों से मंगाना पड़ रहा है.


 28 जून के बाद के सबसे निचले स्तर पर 


विदेशी मुद्रा भंडार 28 जून के बाद के सबसे निचले स्तर पर है. दूसरी ओर जिस गोल्ड रिजर्व को लेकर सबसे ज्यादा हाय-तौबा मची थी और भारत सरकार को सोने के आयात का आंकड़ा गलत होने की आशंका में जांच तक बैठानी पड़ी थी, उस सोने का रिजर्व पिछले सप्ताह बढ़ गया है. पिछले सप्ताह गोल्ड रिजर्व 1.1 अरब डॉलर बढ़ा है. देश का गोल्ड रिजर्व बढ़ने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत का स्पेशल ड्रॉइंग राइट 35 मिलियन घटकर 18 बिलियन डॉलर पर है. इसी तरह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत का विदेशी मुद्रा रिजर्व 27 मिलियन डॉलर घटकर 4.24 अरब डॉलर के स्तर पर है.


27 सितंबर को रिकॉर्ड हाई पर था फॉरेक्स रिजर्व


भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 27 सितंबर को रिकॉर्ड हाई पर था. उस समय इसे 705 अरब डॉलर के स्तर पर दर्ज किया गया था. इस तिमाही में 53 अरब डॉलर की गिरावट महसूस की जा रही है. इसका कारण करेंसी के रिवैल्यूएशन का असर और रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप भी है. हाल के दिनों में रुपये को कमजोरी से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर डॉलर को विदेशी मुद्रा बाजार में बेचा गया था.


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