Raghuram Rajan on Banking Crisis: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के पूर्व गवर्नर और आईएमएफ के पूर्व चीफ इकनॉमिस्ट रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने चेतावनी दी है कि आगे आने वाले वक्त में बैंकिंग सेक्टर में संकट (Bank Crisis) और गहरा सकता है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) और स्विट्जरलैंड के क्रेडिट सुइस बैंक (Credit Suisse Bank)  के मामलों को देखते हुए ग्लोबल बैंकिंग सिस्टम (Banking Crisis) में भारी उछल-पुथल मचा हुआ है. ऐसे में दुनियाभर का बैंकिंग सिस्टम बड़े खतरे की तरफ बढ़ रहा है.


वित्तीय सिस्टम में पैदा हो गई है 'लत'


इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (International Monetary Fund) के पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट रहे रघुराम राजन ने साल 2008 की मंदी का भी सही पूर्वानुमान किया था. राजन ने कहा कि पिछले एक दशक से बैंकों से लोन आसानी से मिल रहा था, क्योंकि उनके पास लिक्विडिटी की कमी नहीं थी, जिससे वित्तीय सिस्टम में एक 'लत' पैदा हो गई. मगर पिछले कुछ महीनों से दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने अपनी मौद्रिक नीतियों को कड़ा कर दिया है. ऐसे में इसका असर अब वित्तीय सिस्टम पर दिखने लगा है. ग्लासगो में दिए गए एक इंटरव्यू में राजन ने कहा कि मैं अच्छे की आशा करता हूं, लेकिन फिलहाल की स्थिति को देखते हुए आगे आने वाले दिन मुश्किल भरे हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से अर्थव्यवस्था में तेजी लाने (Economy) के लिए मार्केट में लिक्विडिटी का प्रवाह ज्यादा कर दिया गया था, मगर अब इस अचानक से खींच लिया गया है. इसके कारण कैश पर निर्भर रहने वाले नाजुक सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ा है.


बैंकिंग सिस्टम में है बड़ी परेशानियां


रघुराम राजन ने कहा कि सिलिकॉन वैली बैंक और क्रेडिट सुइस बैंक क्राइसिस यह दिखाता है कि बैंकों में वित्तीय समस्या की जड़ गहरी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम यह भूल गए हैं कि बैंकों का मौद्रिक नीतियों का असर बहुत गहरा होता है, जिसे संभालना आसान काम नहीं है. ऐसे में इसका असर बैंकिंग सिस्टम पर सीधे तौर पर दिखता है.


साल 2005 में ही कर दी मंदी की भविष्यवाणी


साल 2005 में रघुराम राजन मुख्य अर्थशास्त्री रहते हुए हैं बैंकिंग संकट (Banking Crisis in Year 2008) की भविष्यवाणी कर दी थी, जो बाद में साल 2008 में सही साबित हुई थी. उस समय अमेरिका के तत्कालीन ट्रेजरी ने राजन की चेतावनी को विकास विरोधी बताकर सिरे से नकार दिया था, लेकिन साल 2008 में आई अमेरिका के बैंकिंग संकट ने रघुराम राजन की बात को सच साबित कर दिया था.


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