Raghuram Rajan ने कहा-टाइम बम के मुहाने पर खड़ी ये इकोनॉमी, ग्लोबल चुनौतियों के साथ इस बात का भी जताया डर
Raghuram Rajan on Economy: रघुराम राजन को लगता है कि बैंकों के सामने इस समय डिपॉजिटर्स के पैसे को संभालना और बढ़ाना दोनों एक चुनौती के रूप में उभर रहा है, जानें उन्होंने और क्या डर जताया है.
![Raghuram Rajan ने कहा-टाइम बम के मुहाने पर खड़ी ये इकोनॉमी, ग्लोबल चुनौतियों के साथ इस बात का भी जताया डर Former RBI governor Raghuram Rajan expressed concern over the threat to banking sector over long-term Raghuram Rajan ने कहा-टाइम बम के मुहाने पर खड़ी ये इकोनॉमी, ग्लोबल चुनौतियों के साथ इस बात का भी जताया डर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/06/065033fe44cb49e1e2284716fd7631da1678069828575121_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Raghuram Rajan: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने ग्लोबल इकोनॉमी और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों को लेकर चर्चा की है. उनका मानना है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (अमेरिका) जिसने हाल ही में तीन बड़े बैंकों के धराशायी होने का सामना किया है, उसके लिए अभी और भी कई चुनौतियां तैयार खड़ी हैं. एक तरह से ये अर्थव्यवस्था एक टाइम बम के मुहाने पर खड़ी है जिसमें हानिरहित कैपिटलिज्म का खतरा है, डॉमिनो इंपेक्ट के चलते बैंकों के सामने कई तरह के चैलेंज हैं.
पॉडकॉस्ट में रघुराम राजन ने दिया अहम मुद्दों पर जवाब
डीबीएस बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट तैमूर बेग के साथ एक पॉडकास्ट में रघुराम राजन ने कहा कि अमेरिकी अथॉरिटीज ने जिस तरह से वहां आए बैंकिंग संकट को हैंडल किया, काफा हद तक उसके आने की उम्मीद थी. क्योंकि शायद उनको अंदाजा था कि इस संकट के चलते वहां आर्थिक स्थिति को संभालना मुश्किल हो सकता है और घबराहट फैल सकती है.
अभी के समाधान केवल शॉर्ट टर्म समाधान-लंबी अवधि में काम नहीं आएंगे
रघुराम राजन ने कहा कि "मुझे लगता है कि छोटी अवधि की समस्या को जमाओं के समक्ष रखे इंश्योरेंस के जरिए सुलझा लिया गया है लेकिन लंबी अवधि की समस्या अभी भी बरकरार रहने वाली है. उन्हें ये भी लगता है कि बैंकों के सामने इस समय डिपॉजिटर्स के पैसे को संभालना और बढ़ाना दोनों एक चुनौती के रूप में उभर रहा है जबकि जमाकर्ता अपने पैसे पर सुरक्षा चाहते हैं. अमेरिका में बैंकों के सामने लंबी अवधि की प्रॉफिटेबिलिटी को बरकरार रखना जरूरी है चूंकि सेफ ऐसेट्स के ब्याज दरों में भी लगातार इजाफा हो रहा है और निवेशक अपने पैसे को वहां डाइवर्ट कर रहे हैं."
राजन ने इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक पॉलिसी में लगातार ब्याज दरों की बढ़ोतरी बैंकों के सामने ऐसा रास्ता तैयार कर रही हैं जिसे पार करने के लिए उन्हें कड़े उपाय करने होंगे. क्वांटिटेटिव इजिंग ने भी वहां पैर पसार लिए हैं और इसके चलते आर्थिक परिदृश्य में काफी बदलाव आ चुके हैं जो पुराने समय से अलग हैं. बैंक पहले ही मंदी के डर का सामना कर रहे हैं और ऐसी स्थिति में कुछ छोटे-बड़े बिजनेस के लिए परेशानियां बढ़ रही हैं और वो अपने कर्जों को चुकाने से लेकर सर्विस लोन को चुकाने के लिए भारी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं.
क्यों आ रही हैं कुछ बैंकों में दिक्कत
साल 2022 से फेडरल रिजर्व अपनी ब्याज दरों में 4.5 फीसदी तक का इजाफा कर चुका है और इसका असर ही सिलिकॉन वैली बैंक और फर्स्ट रिपब्लिक बैंक जैसों पर आया है. महंगाई कंट्रोल करने की कोशिशों के चलते जो कदम उठाए गए उससे बॉन्ड यील्ड में भी जोरदार इजाफा तो हुआ. हालांकि जब तक अमेरिकी अथॉरिटीज ने स्थिति को देखर डिपॉजिटर्स के पैसे सुरक्षित करने के प्रयास किए तब तक एक और बैंकिंग दिग्गज स्विट्जरलैंड का क्रेडिट सुईस भारी आर्थिक परेशानियों में फंस गया.
इन्हीं सब परिस्थियों को देखते हुए रघुराम राजन का मानना है कि बैंकिंग सिस्टम को ढहने से बचाने के लिए जो भी प्रयास हो रहे हैं वो एक तरह से रिस्कलेस कैपिटलिज्म को बढ़ा रहे हैं और ये स्थाई समाधान नहीं हैं. इनको लेकर जल्द ही ऐसे ठोस कदम उठाने होंगे जो बैंकों के साथ-साथ उनके डिपॉजिटर्स के लिए भी राहत भरे साबित होंगे.
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