साल 2047 में भारत की आजादी के 100 साल पूरे हो जाएंगे. हाल-फिलहाल में भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर कई शानदार अनुमान सामने आए हैं, जिनमें ऐसा कहा गया है कि 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था कई गुना बड़ी हो जाएगी. अनुमानों का मानना है कि जब भारत आजादी के 100 साल पूरे कर रहा होगा, देश की अर्थव्यवस्था न सिर्फ टॉप-3 में शामिल होगी, बल्कि कुछ अनुमानों में ये भी भरोसा जाहिर किया गया है कि भारत चीन और अमेरिका से भी आगे निकल जाएगा.


6 पर्सेंट सालाना ग्रोथ के बाद भी डर


अब रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर व प्रख्यात अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने भी इस बात अपनी राय दी है कि 2047 में भारत की आर्थिक स्थिति कैसी रहने वाली है. रघुराम राजन को इस बात का डर है कि 2047 में भारत गरीब बना रह सकता है. उन्होंने कहा कि अगर भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6 फीसदी सालाना रह जाती है, तब 2047 तक आबादी नहीं बढ़ने के बाद भी भारत लोअर मिडल इनकम यानी निम्न मध्य आय वाला देश ही रहेगा.


अमीरी से पहले बुढ़ापे का खतरा


राजन शनिवार को एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत के सामने इस बात का खतरा है कि वह अमीर बनने से पहले बूढ़ा हो सकता है. राजन के अनुसार, 2047 तक भारत का डेमोग्राफिक डिविडेंड खत्म हो जाएगा. ऐसे में देश अमीर होने से पहले बूढ़ा हो जाएगा और तब अर्थव्यवस्था के ऊपर बूढ़ी आबादी का ध्यान रखने का प्रेशर होगा.


क्या है डेमोग्राफिक डिविडेंड


डेमोग्राफिक डिविडेंड से आशय भारत को फिलहाल आबादी की स्थिति से मिल रहे फायदे का होता है. अभी भले ही भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वला देश बन गया हो, लेकिन उसके बाद भी विशाल आबादी देश के लिए समस्या न होकर आर्थिक लिहाज से फायदेमंद साबित हो रही है. इसका कारण है आबादी का बड़ा हिस्सा युवा है. भारत अभी सबसे अधिक युवाओं वाला देश है. इससे भारत को शानदार वर्किंग फोर्स का फायदा मिल रहा है. आबादी की औसत उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, यह डेमोग्राफिक डिविडेंड कम होता जाता है.


ये रहा राजन का कैलकुलेशन


राजन ने अपनी आशंका को लेकर कैलकुलेशन भी साझा किया. उन्होंने कहा कि 6 फीसदी की आर्थिक वृद्धि के साथ प्रति व्यक्ति आय हर 12 साल में डबल होती है. ऐसे में अगले 24 साल में प्रति व्यक्ति आय अभी की तुलना में 4 गुनी होगी. अभी भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,500 डॉलर से कुछ कम है. ऐसे में 2047 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय 10 हजार डॉलर से कम ही रहेगी. यानी हम लोअर मिडल इनकम वाले देश ही रहेंगे.


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