Jamshed J Irani Death: टाटा स्टील के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और भारत के 'स्टील मैन' कहे जाने वाले जमशेद जे. का कल रात जमशेदपुर में निधन हो गया. अपने पीछे वह ऐसी यादें छोड़ गए हैं जो बताती हैं कि आज के टाटा ग्रुप की मजबूत स्थिति के पीछे उनका कितना शानदार हाथ था और देश की स्टील इंडस्ट्री में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. 


कैसा रहा जमशेद जे ईरानी का कारोबारी सफर
विदेश में शिक्षा ग्रहण करने और पेशेवर जीवन की शुरुआत करने के बाद, ईरानी 1968 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी जो अब टाटा स्टील है में शामिल होने के लिए भारत लौट आए. वह कंपनी से अनुसंधान और विकास के प्रभारी निदेशक के सहायक के रूप में जुड़े. टाटा स्टील और टाटा संस के अलावा, डॉ ईरानी ने टाटा मोटर्स और टाटा टेलिसर्विसेज सहित टाटा समूह की कई कंपनियों के निदेशक के रूप में भी काम किया.


जमशेद जे ईरानी का शुरुआती जीवन ऐसा रहा
ईरानी का जन्म दो जून 1936 को नागपुर में जिजी ईरानी और खोरशेद ईरानी के घर में हुआ. उन्होंने 1956 में साइंस कॉलेज, नागपुर से बीएससी और 1958 में नागपुर विश्वविद्यालय से भूविज्ञान में एमएससी पूरा किया. इसके बाद उन्होंने ब्रिटेन के शेफील्ड विश्वविद्यालय से धातुकर्म में परास्नातक और पीएचडी की उपाधि हासिल की. उन्होंने 1963 में शेफील्ड में ब्रिटिश आयरन एंड स्टील रिसर्च एसोसिएशन के साथ अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की. वह 1968 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (अब टाटा स्टील) में शामिल होने के लिए भारत लौट आए.


कौन-कौन से सम्मान मिले थे जमशेद जे ईरानी को
उन्होंने 1992-93 के दौरान भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी संभाला. उन्हें कई सम्मान मिले, जिसमें 1996 में रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के इंटरनेशनल फेलो के रूप में उनकी नियुक्ति और 1997 में क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा मानद नाइटहुड की उपाधि शामिल है. उद्योग में ईरानी के योगदान के लिए उन्हें 2007 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.


टाटा स्टील ने दी श्रद्धांजलि
टाटा स्टील ने कहा, ''उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने 1990 के दशक की शुरुआत में भारत के आर्थिक उदारीकरण के दौरान टाटा स्टील का नेतृत्व किया और भारत में इस्पात उद्योग के विकास में अत्यधिक योगदान दिया.'' टाटा स्टील ने ट्वीट के जरिए ईरानी के निधन की जानकारी दी. वह 86 वर्ष के थे. ईरानी चार दशकों से अधिक समय तक टाटा स्टील से जुड़े. वह 43 साल की विरासत को पीछे छोड़ते हुए जून 2011 में टाटा स्टील के बोर्ड से सेवानिवृत्त हुए थे. टाटा स्टील ने एक बयान में कहा, ''भारत के 'स्टील मैन' का निधन हो गया है. अत्यंत दुख के साथ टाटा स्टील पद्म भूषण डॉ जमशेद जे ईरानी के निधन की सूचना दे रही है.'' उनका निधन 31 अक्टूबर 2022 को रात 10 बजे जमशेदपुर के टीएमएच (टाटा अस्पताल) में हुआ.



टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने जताया दुख
ईरानी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि ईरानी टाटा से जुड़े एक सर्वोत्कृष्ट व्यक्ति थे. उन्होंने कहा, ''वह एक महान कॉरपोरेट व्यक्तित्व थे, जिनका इस्पात उद्योग में बहुत बड़ा योगदान था. टाटा समूह में हम सभी को डॉ ईरानी की बहुत याद आएगी और हम उनकी दिवंगत आत्मा के लिए प्रार्थना करते हैं.''
टाटा स्टील के सीईओ और प्रबंध निदेशक टी वी नरेंद्रन ने कहा कि ईरानी ने नब्बे के दशक में कंपनी को बदल दिया और इसे दुनिया में सबसे कम लागत वाले इस्पात उत्पादकों में से एक बना दिया. नरेंद्रन कहा, ''उन्होंने एक मजबूत नींव बनाने में मदद की, जिस पर हम बाद के दशकों में विकसित हुए. उन्होंने साहस और दृढ़ विश्वास के साथ नेतृत्व किया. वह टाटा स्टील में कई लोगों के लिए एक आदर्श और सलाहकार थे.''


कौन-कौन है जमशेद जे ईरानी के परिवार में
ईरानी के परिवार में उनकी पत्नी डेज़ी ईरानी और उनके तीन बच्चे जुबिन, निलोफर और तनाज़ हैं.