विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से मुंह मोड़ा, एफपीआई ने निकालना शुरू किया निवेश
आमतौर पर बॉन्ड यील्ड बढ़ने पर निवेशकों का रुझान उसकी ओर बढ़ जाता है. चूंकि बॉन्ड में निवेश काफी सुरक्षित माना जाता है इसलिए निवेशक का रुझान इसकी ओर बढ़ता है. एफपीआई ने फरवरी में डेट मार्केट से 6488 करोड़ रुपये निकाले हैं. पिछले शुक्रवार को सेंसेक्स 1939 प्वाइंट गिर गया था जबकि निफ्टी में 568 प्वाइंट की गिरावट आई थी.
शेयर बाजार तेज बढ़त के बाद एक बार उतार की ओर है. जिन विदेशी निवेशकों ने इसे चढ़ाया था, वही अब इसमें से अपना निवेश तेजी से निकाल रहे हैं. शुक्रवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी FPI ने मार्केट से 8295 करोड़ रुपये एक झटके में निकाल लिए. इससे मार्केट को तेज झटका लगा. अगले कुछ वक्त तक विदेशी निवेशकों के लौैटने की उम्मीद नहीं दिखती.
एफपीआई बॉन्ड मार्केट की ओर
एनएसडीएल के डेटा के मुताबिक फरवरी में एफपीआई ने शेयर मार्केट में 25,787 करोड़ रुपये डाले थे. लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों ने सिर्फ 1500 करोड़ रुपये का निवेश किया. विश्लेषकों का कहना एफपीआई अभी मार्केट से और पैसा निकाल सकते हैं क्योंकि बॉन्ड यील्ड बढ़ रहा है. आमतौर पर बॉन्ड यील्ड बढ़ने पर निवेशकों का रुझान उसकी ओर बढ़ जाता है. चूंकि बॉन्ड में निवेश काफी सुरक्षित माना जाता है इसलिए निवेशक का रुझान इसकी ओर बढ़ता है. एफपीआई ने फरवरी में डेट मार्केट से 6488 करोड़ रुपये निकाले हैं. पिछले शुक्रवार को सेंसेक्स 1939 प्वाइंट गिर गया था जबकि निफ्टी में 568 प्वाइंट की गिरावट आई थी.
अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ने का असर
अमेरिका में दस साल के बॉन्ड पर यील्ड बढ़ने से एफपीआई के मनी फ्लो पर काफी असर पड़ा है. पूंजी प्रवाह में अमेरिका के 10 साल के बॉन्ड पर यील्ड का अहम योगदान रहा है. दरअसल महंगाई की वजह से बॉन्ड पपर यील्ड बढ़ रहा है. इससे पूंजी का फ्लो सुस्त पड़ेगा. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक 1-26 फरवरी के दौरान एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 25,787 करोड़ रुपये डाले, लेकिन उन्होंने डेट या बॉन्ड बाजार से 2,124 करोड़ रुपये की निकासी भी की. दरअसल भारतीय अर्थव्यवस्था में ज्यादा रफ्तार न देखने की वजह से एफपीआई का उत्साह ठंडा पड़ता दिख रहा है. अगर इकोनॉमी में रफ्तार दिखेगी तो एफपीआई की वापसी हो सकती है.