FPI Data: भारतीय अर्थव्यवस्था की धूम पूरी दुनिया में है. विदेशी निवेशकों को भी चुनावी साल होने के बावजूद भारतीय बाजार ही पसंद आ रहे हैं. निवेशकों को भारत की तरक्की पर पूरा भरोसा है. यही वजह है कि 2023 में विदेशी निवेशकों ने भारत में लगभग 1.5 ट्रिलियन रुपये का निवेश किया है. अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो दिसंबर अंत तक एफपीआई निवेश का नया रिकॉर्ड भी बन सकता है. बाजार विशेषज्ञों ने यही ट्रेंड 2024 में भी जारी रहने का अनुमान जताया है.
एफपीआई के लिए सबसे खराब वर्ष 2022 रहा
आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में एफपीआई (Foreign Portfolio Investors) ने 25,752 करोड़ रुपये भारतीय मार्केट में डाले थे. इससे पहले 2020 में यही आंकड़ा 1.7 ट्रिलियन रुपये रहा था जो कि अब तक का बेस्ट है. साल 2019 में भारत में एफपीआई 1.01 ट्रिलयन रुपये रहा था. तीन साल तक लगातार बढ़ोतरी के बाद एफपीआई के लिए सबसे खराब साल 2022 रहा. इस साला केंद्रीय बैंकों द्वारा तेजी से ब्याज दरें बढ़ाने के चलते लगभग 1.21 ट्रिलियन रुपये देश के बाहर चला गया था.
पूरी दुनिया में मंदी की आशंका
विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय इकोनॉमी के आंकड़े विदेशी निवेशकों को उत्साहित करने वाले हैं. देश की जीडीपी को लेकर सभी ग्लोबल एजेंसियों ने अच्छे अनुमान लगाए हैं साथ ही देश में राजनीतिक स्थिरता के अनुमानों के चलते आर्थिक नीतियों की स्थिरता के पूरे आसार हैं. उधर, पूरी दुनिया में मंदी की आशंका जताई जा रही है. महंगाई और ब्याज दरों में भी अस्थिरता के आसार हैं. इसलिए विदेशी निवेशकों को भारत में पैसा लगाने में ही भलाई नजर आ रही है.
भाजपा की जीत के बाद लगे 43000 करोड़ रुपये
डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक एफपीआई भारतीय इक्विटी बाजार में 1.5 ट्रिलियन रुपये लगा चुके हैं. इसके अलावा 60 हजार करोड़ रुपये डेट मार्केट में लगाए हैं. इस 1.5 ट्रिलियन में से लगभग 43 हजार करोड़ तो सिर्फ दिसंबर के पहले हफ्ते में ही लगाए गए हैं. इसका श्रेय तीन राज्यों में भाजपा की बंपर जीत को दिया जा रहा है. इसके बाद विदेशी निवेशकों को अगले साल के आम चुनाव में सरकार बदलने की कोई आशंका नहीं रह गई है. ऐसा माना जा रहा है कि अगर यही आंकड़ा साल के अंत तक जारी रहा तो 2023 एफपीआई के लिए बेस्ट साल भी बन सकता है.
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