FPI Investment: लगातार दो महीने तक निवेश निकालने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मार्च में भारतीय शेयर बाजार में 7,936 करोड़ रुपये का निवेश किया है. अमेरिका की जीक्यूजी पार्टनर्स द्वारा अडानी समूह की कंपनियों में पैसा लगाने से एफपीआई का निवेश मार्च में सकारात्मक रहा है.


क्या कहते हैं आर्थिक जानकार


जीएलसी वेल्थ एडवाइजर एलएलपी के को- फाउंडर और चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) संचित गर्ग ने कहा कि यदि अडाणी समूह की कंपनियों में आए निवेश को निकाल दिया जाए, तो मार्च में FPI का शुद्ध निवेश नकारात्मक हो जाएगा. इसका आशय है कि मार्च में भी एफपीआई बिकवाल ही रहे हैं. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, "विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का सतत बिकवाली का सिलसिला समाप्त होता दिख रहा है. पिछले कुछ सत्रों से वे लिवाल बन गए हैं."


वित्तीय एक्सपर्ट्स की सलाह


विजयकुमार ने कहा, "एफपीआई के लिए निकट भविष्य का दृष्टिकोण अब और अधिक सकारात्मक दिखता है. भले ही भारतीय मूल्यांकन अपेक्षाकृत अधिक बना हुआ है, लेकिन हाल के समय में बाजार में जो ‘करेक्शन’ हुआ है उससे अब मूल्यांकन कुछ ठीक हो गया है." उन्होंने कहा कि निर्यात में बढ़ोतरी की वजह से चालू खाते के घाटे (कैड) की स्थिति सुधरी है. ऐसे में एफपीआई आगे संभवत: आक्रामक तरीके से बिकवाली नहीं करेंगे.


आगे भारतीय रुपये के स्थिर रहने की संभावना


उन्होंने कहा कि बीते वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा 4.4 फीसदी था. तीसरी तिमाही में चालू खाते का अधिशेष रहा है. इसलिए आगे चलकर भारतीय रुपये के स्थिर रहने की संभावना है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने मार्च में भारतीय शेयरों में शुद्ध रूप से 7,396 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इससे पहले फरवरी में उन्होंने 5,294 करोड़ रुपये और जनवरी में 28,852 करोड़ रुपये की निकासी की थी. दिसंबर, 2022 में भी एफपीआई ने शुद्ध रूप से 11,119 करोड़ रुपये का निवेश किया था.


एफपीआई ने लोन या बॉन्ड बाजार से भी निवेश निकाला 


समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने लोन या बॉन्ड बाजार से भी 2,505 करोड़ रुपये निकाले हैं. जनवरी में उन्होंने बॉन्ड बाजार में 3,531 करोड़ रुपये और फरवरी में 2,436 करोड़ रुपये डाले थे.


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