Foreign portfolio investors: शेयर बाजार में लगातार गिरावट जारी है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि, ऊंची मुद्रास्फीति और शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली जून में भी जारी है. इस महीने अबतक एफपीआई भारतीय शेयरों से 31,430 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं. डिपॉजिटरी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. साल 2022 में एफपीआई अब तक 1.98 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं.
आगे भी जारी रहेगा उतार-चढ़ाव
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा है कि आगे चलकर भी एफपीआई का रुख उतार-चढ़ाव वाला रहेगा. भू-राजनीतिक तनाव, बढ़ती मुद्रास्फीति, केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक रुख को कड़ा किए जाने की वजह से एफपीआई उभरते बाजारों में बिकवाल बने हुए हैं.
17 जून तक निकाले 31,430 करोड़
आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने इस महीने 17 जून तक भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 31,430 करोड़ रुपये की निकासी की है. अक्टूबर 2021 से एफपीआई की बिकवाली का सिलसिला जारी है.
फेड रिजर्व ने 0.75 फीसदी का किया इजाफा
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा है कि वैश्विक निवेशक दुनियाभर में मंदी के बढ़ते जोखिम को लेकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की वृद्धि की है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने आगे भी सख्त रुख अपनाने का संकेत दिया है.’’
क्यों एफपीआई निवेशक कर रहे बिकवाली?
उन्होंने कहा कि डॉलर के मजबूत होने और अमेरिका में बांड पर प्रतिफल बढ़ने की वजह से एफपीआई मुख्य रूप से बिकवाली कर रहे हैं. फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ इंग्लैंड और स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं. इसके चलते एफपीआई शेयरों से बांड की ओर रुख कर रहे हैं.
मार्च 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट
ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा है कि अनिश्चितता के ऐसे परिदृश्य जबकि बांड पूंजी की सुरक्षा और बेहतर प्रतिफल की पेशकश कर रहे हैं, निवेशकों की बिकवाली तय है. मार्च, 2020 के बाद अमेरिका के बाजारों में सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट देखने को मिली है. उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर मुद्रास्फीति चिंता का विषय है और इसपर अंकुश के लिए रिजर्व बैंक नीतिगत दरें बढ़ा रहा है.
आगे भी फेड रिजर्व बढ़ाएगा ब्याज दरें
वहीं मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव का मानना है कि फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि के बाद रिजर्व बैंक भी अगले दो-तिमाहियों में नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करेगा.
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