Stock Market in May: लगातार 8वें महीने मई में भी FPI ने जमकर की बिकवाली, 40,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे
Stock Market in May: विदेशी निवेशकों का शेयर बाजारों से निकासी का सिलसिला जारी है और उन्होंने मई में भारतीय शेयर बाजार से 40,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं.
Stock Market in May: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों-एफपीआई (FPI) का भारतीय बाजारों से निकासी का सिलसिला मई में लगातार आठवें महीने जारी रहा. अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा आक्रामक तरीके से दरों में बढ़ोतरी की आशंका से निवेशकों के सेंटीमेंट पर असर आया है. एफपीआई ने मई में भारतीय शेयर बाजारों से करीब 40,000 करोड़ रुपये की निकासी की है.
भारतीय शेयर बाजारों में बड़ी कमजोरी की वजह एफपीआई की निकासी
आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने मई में शेयर बाजारों से कुल 39,993 करोड़ रुपये की निकासी की है. भारतीय बाजारों में कमजोरी की एक बड़ी वजह एफपीआई की निकासी ही है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, इस तरह 2022 में एफपीआई अबतक 1.69 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं. अक्टूबर, 2021 से मई, 2022 तक आठ माह में एफपीआई भारतीय शेयर बाजारों से 2.07 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं.
क्या कहते हैं जानकार
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) प्रमुख श्रीकांत चौहान का मानना है कि जियो-पॉलिटिकल टेंशन, ऊंची महंगाई दर, केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक रुख में सख्ती आदि वजहों से आगे चलकर भी एफपीआई का प्रवाह उतार-चढ़ाव वाला रहने वाला है.
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि हाल के समय में एफपीआई की बिकवाली की प्रमुख वजह अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में अधिक आक्रामक तरीके से वृद्धि की आशंका है. फेडरल रिजर्व इस साल बढ़ती मुद्रास्फीति पर काबू के लिए नीतिगत दरों में दो बार बढ़ोतरी कर चुका है.
बीडीओ इंडिया के भागीदार और लीडर मनोज पुरोहित ने कहा, "इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर चिंता के बीच एफपीआई असमंजस में हैं. युद्ध की वजह से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम चढ़ रहे हैं. अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दरों में बढ़ोतरी, वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक रुख को सख्त करने और विदेशी मुद्रा डॉलर दर में बढ़ोतरी से विदेशी निवेशक संवेदनशील बाजारों में बिकवाली कर रहे हैं.’’
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने हालांकि कहा कि अब एफपीआई की बिकवाली की रफ्तार धीमी हुई है. जून के शुरुआती दिनों में उनकी बिकवाली काफी कम रही है. उन्होंने कहा कि यदि डॉलर और अमेरिकी बांड पर प्रतिफल स्थिर होता है, तो एफपीआई की बिकवाली रुक सकती है.
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