भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाल चीन में लगा रहे FPI, मार्च के शुरुआती 15 दिनों में निकाल चुके 30,000 करोड़
Share Market: भारतीय शेयर बाजार में चौतरफा बिकवाली का माहौल है. विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बेचकर चीनी शेयर बाजार में पैसे लगा रहे हैं. इसके पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारण जिम्मेदार हैं.

Share Market: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय शेयर बाजार से धड़ाधड़ पैसे निकाल रहे हैं और यह सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. शेयर बाजार बीते 5 महीनों से भारी गिरावट के दौर से गुजर रहा है. वैश्विक व्यापार को लेकर अनिश्चितता का माहौल है. एक तरफ टैरिफ के चलते दुनिया के विभिन्न देशों के बीच ट्रेड वॉर का खतरा हुआ है, वहीं अमेरिका में मंदी की आशंका से भी निवेशक घबराए हुए हैं. आलम यह है कि मार्च के शुरुआती 15 दिनों में विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कर चुके हैं.
साल 2025 में अब तक निकाले जा चुके इतने पैसे
इससे पहले फरवरी में विदेशी निवेशकों ने 34,574 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2025 में विदेशी निवेशक अब तक भारतीय शेयर बाजार से कुल 1.42 लाख करोड़ रुपये (16.5 अरब अमेरिकी डॉलर) निकाल चुके हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने इस महीने (13 मार्च तक) भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 30,015 करोड़ रुपये की निकासी की है. यह उनकी शुद्ध निकासी का लगातार 14वां सप्ताह है. इसके पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारक जिम्मेदार हैं.
इसलिए भी तेजी से हो रही बिकवाली
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिकी ट्रेड पॉलिसीज को लेकर अनिश्चितता के साथ ही अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और डॉलर की मजबूती और रुपये में गिरावट के चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से दूरी बना रहे हैं.
चीन में पैसे लगा रहे हैं FPIs
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि विदेशी निवेशक भारत से पैसे निकाल कर चीन के शेयरों में लगा रहे हैं. यही वजह है कि चीन के शेयर बाजारों का प्रदर्शन अन्य बाजारों के मुकाबले बेहतर है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के हैंग-सेंग इंडेक्स ने सालाना आधार पर भारत के निफ्टी के -5 परसेंट रिटर्न के मुकाबले 23.48 परसेंट का शानदार रिटर्न दिया है. हालांकि, वी के विजयकुमार ने यह भी कहा कि यह एक शॉर्ट टर्म सायकल ट्रेड हो सकता है क्योंकि साल 2008 से चीन के कॉरपोरेट सेक्टर की परफॉर्मेंस लगातार उम्मीद से कम रही है.
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