FPI Investment: भारतीय शेयर बाजार से भाग रहे विदेशी निवेशक, 24 फरवरी तक बाजार से निकाले 2,313 करोड़ रुपये
FPI Investment In Feb: विदेशी निवेशकों ने भारतीय घरेलू शेयर बाजार से 24 फरवरी 2023 तक बड़ी बिकवाली की है. जानिए क्या कहते हैं आंकड़े...
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FPI Investment February 2023 India: ग्लोबल मार्केट (Global Market) में उतार-चढ़ाव का असर भारत में भी देखने को मिला है. पिछला साल दुनिया भर के शेयर बाजारों (Share Markets) के लिए अच्छा नहीं रहा है. और इस साल की शुरुआत की कुछ खास नहीं रही है. विदेशी निवेशकों (FPI) ने घरेलू शेयर बाजार से 24 फरवरी 2023 तक बड़ी बिकवाली की है. जानिए क्या कहते हैं आंकड़े...
विदेशी निवेशकों ने निकाला पैसा
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस महीने 1 से 24 फरवरी 2023 तक भारतीय शेयर बाजारों से 2,313 करोड़ रुपये निकाले लिए हैं. हालांकि एफपीआई की बिकवाली की रफ्तार पिछले महीने जनवरी के मुकाबले कम रही है. विदेशी निवेशकों ने उस समय शेयर बाजारों से 28,852 करोड़ रुपये निकाले थे. अभी अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक का डेटा जारी होना बाकी है.
पिछले साल इतनी हुई निकासी
डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल दिसंबर 2022 में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 11,119 करोड़ रुपये और नवंबर में 36,238 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था. विदेशी निवेशकों ने पूरे साल के दौरान भारतीय बाजारों से 16.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 1.21 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है. इस लिहाज से 2022 एफपीआई के लिए सबसे बुरा साल साबित हुआ है. इससे पहले लगातार 3 सालों से एफपीआई भारतीय बाजार में शुद्ध निवेशक हुआ था.
महंगाई में कमी की रफ्तार हुई धीमी
हिमांशु श्रीवास्तव, मॉर्निंग स्टोर इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध (Associate Director- Manager Research, Morningstar India) का कहना है कि अमेरिका में निराशाजनक आर्थिक आंकड़ों से एफपीआई ने सतर्कता का रुख अपनाया है. महंगाई में कमी की रफ्तार धीमी होने की वजह से अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा अधिक लंबे समय तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला कायम रखने की आशंका है. एफपीआई ने लोन या बॉन्ड बाजार में 2,819 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
जानिए क्या है एक्सपर्ट की राय
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार (VK Vijayakumar, Chief Investment Strategist at Geojit Financial Services) का कहना है कि अमेरिका में बढ़ती दरों से भारत सहित अन्य बाजारों से पूंजी की निकासी हो सकती है.
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