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वित्त मंत्री का 'मुफ्त सौगात' विवाद पर केजरीवाल को जवाब, कहा- शिक्षा स्वास्थ्य पर खर्च को मुफ्त नहीं कहा गया

Freebies Debate: वित्त मंत्री ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च को कभी भी मुफ्त नहीं कहा गया है. मुफ्त की कैटेगरी में शामिल करके केजरीवाल गरीबों के मन में चिंता और डर की भावना लाने की कोशिश कर रहे हैं.

Freebies Debate: देश में मुफ्त की रेवड़ी या सौगात पर छिड़ी बहस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी एंट्री कर ली है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर पलटवार करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि वह लोगों को मुफ्त में सौगात दिये जाने की चर्चा को 'गलत मोड़' दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आप नेता शिक्षा और स्वास्थ्य को इस मामले में शामिल कर लोगों के मन में डर पैदा करने की एक कोशिश कर रहे हैं. वित्त मंत्री सीतारमण ने यह बात केजरीवाल के एक दिन पहले दिये गये बयान के बाद कही है.

शिक्षा और स्वास्थ्य को मुफ्त की चर्चा में शामिल करना इसे गलत मोड़ देने जैसा है- वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से चाहे किसी की भी सरकार क्यों न हो, इन दोनों चीजों (शिक्षा और स्वास्थ्य) पर खर्च को कभी भी मुफ्त नहीं कहा गया है. इन्हें अब चर्चा में घसीटना पूरे मामले को 'गलत मोड़' देने जैसा है. उन्होंने कहा, "दिल्ली के मुख्यमंत्री ने लोगों को मुफ्त में सौगात दिये जाने पर चर्चा को अनुचित मोड़ दिया है. स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च को कभी भी मुफ्त में दी जाने वाली चीजें नहीं कहा गया है."

मुद्दे पर सही तरीके से बहस हो- वित्त मंत्री
सीतारमण ने कहा, "आजादी के बाद से चाहे किसी की भी सरकार क्यों न हो, शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च को कभी भी मुफ्त नहीं कहा गया है. इन दोनों चीजों को मुफ्त की कैटेगरी में शामिल करके केजरीवाल गरीबों के मन में चिंता और डर की भावना लाने की कोशिश कर रहे हैं.' सीतारमण ने कहा कि इस मुद्दे पर सही तरीके से बहस होनी चाहिए और इसमें सभी को शामिल होना चाहिए.

अरविंद केजरीवाल ने की थी जनमत संग्रह की मांग
दरअसल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को इस बात पर जनमत संग्रह कराए जाने की मांग की कि टैक्सपेयर्स का धन स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी गुणवत्तापूर्ण सेवाओं पर खर्च किया जाना चाहिए या "किसी एक परिवार' या 'किसी के मित्रों' पर यह धन खर्च होना चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं 'मुफ्त सौगातों' की आलोचना
गौरतलब है कि हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न दलों में 'रेवड़ी' (मुफ्त सौगात) बांटने जैसी लोकलुभावन घोषणाओं के चलन की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि यह न केवल टैक्सपेयर्स के पैसे की बर्बादी है बल्कि एक आर्थिक आपदा भी है जो भारत के आत्मनिर्भर बनने के अभियान की राह में रुकावट पैदा कर सकती है. प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी को दरअसल आम आदमी पार्टी (आप) जैसे दलों में मुफ्त में चीजें दिये जाने की घोषणा के संदर्भ में देखा गया. हाल के दिनों में पंजाब जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव में मुफ्त बिजली और पानी और अन्य चीजें देने का वादा किया गया था.

लोन को बट्टे खाते में डालने को मुफ्त सौगात की कैटेगरी में रखना गलत- सरकारी सूत्र
दिल्ली के मुख्यमंत्री की मुफ्त में दी जाने वाली चीजों पर टिप्पणियों का जवाब देते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा कि किसी ने भी नहीं कहा है कि मुफ्त में गरीबों को कुछ देना गलत है. लेकिन लोन को बट्टे खाते में डालने को मुफ्त सौगात की श्रेणी में रखना या यह कहना कि कंपनी टैक्स में कटौती कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिये की गई है, सरासर गलत है.
सूत्र ने कहा कि कर्ज को बट्टे खाते में डालना रिजर्व बैंक की जरूरतों के अनुसार एक तकनीकी प्रक्रिया है. इसमें वसूली प्रक्रिया जारी रहती है. उन्होंने कहा कि राज्यों को नागरिकों को मुफ्त सौगात देने से पहले अपने राजस्व की स्थिति को देखना चाहिए और उसके अनुसार फैसले करने चाहिए.

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