किसान आंदोलन खत्म होने के आसार नहीं, फल-सब्जियों की सप्लाई पर पड़ने लगा है असर
हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के थोक खरीदार मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. इससे फल और सब्जियों की खरीदारी कम है.
फल और सब्जियां एक बार फिर महंगी हो सकती हैं. किसान आंदोलन जारी रहने से इनकी सप्लाई बाधित हो सकती है. रिटेल मार्केट में किसान आंदोलन का असर दिखने लगा है. दिल्ली और इसके आसपास की मंडियों में फल और सब्जियों की आवक में 30 से 40 फीसदी की गिरावट देखी जा रही है. इस वजह से खुदरा मार्केट में सप्लाई कम है.
हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के थोक खरीदार मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे
हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के थोक खरीदार मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. इससे फल और सब्जियों की खरीदारी कम है. खुदरा मार्केट में इसका असर हो सकता है. खुदरा मार्केट में फल और सब्जियां की सप्लाई पर्याप्त नहीं हुई तो दाम बढ़ सकते हैं. सब्जियों की पैदावार के हिसाब से भी तुड़ाई का सीजन है. खेतों में सब्जियां पर्याप्त पैदा हुई हैं. लेकिन खेतों से मंडियों तक सब्जियां कम आ रही हैं. सब्जियों के दाम में अभी तेजी नहीं आई है. लेकिन ऐसी ही स्थिति रही तो इनके दाम बढ़ सकते है.
आलू, प्याज के दामों पर फिर दिखेगा असर ?
पिछले दिनों आलू और प्याज की कीमतें काफी बढ़ गई थीं. लेकिन नया आलू और प्याज बाजार में आ जाने से दाम कम हो गए हैं. हालांकि हरी सब्जी की सप्लाई पर असर पड़ा तो ये महंगे हो सकते हैं. पिछले महीने तक दिल्ली-एनसीआर के मार्केट में आलू 40 से 50 रुपये और प्याज 50 से 70 रुपये किलो तक बिक रहा था.इस बीच सरकार ने प्याज की कीमतों पर काबू पाने के लिए इसकी आयात शर्तों में कुछ ढील देने की तैयारी की है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक, देश में आयात की जाने वाले प्याजको अब बिना कीटों या फफूंद आदि से मुक्त किए भी मंगाया जा सकता है.
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