सेहत से नहीं खिलवाड़! अब नहीं बिकेंगी एक्सपायर हो चुकी खाने की चीजें, FSSAI लेकर आया नया नियम
FSSAI New Order: समय सीमा पार कर चुके या अस्वीकृत खाने-पीने की बिक्री रोकने के लिए FSSAI एक नया नियम लेकर आया है. इसमें मैन्यूफैक्चररर्स को फूड आइटम्स की हर डिटेल देनी होगी.

FSSAI New Order: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक नया आदेश जारी किया. इसके तहत देश में खाने-पीने की चीजें बनाने वाली सभी लाइसेंस प्राप्त कंपनियों और इम्पोटर्स को साल की हर तिमाही में एक्सपायर या रिजेक्ट हो चुके फूड आइटम्स की डेट जमा करानी होगी. भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित इस विभाग का काम देश में खाद्य सामिग्रयों की सुरक्षा का ध्यान रखना और उनका स्टैंडर्ड बनाए रखना है.
एक्सपायर्ड आइटम्स की बिक्री पर लगेगी रोक
FSSAI के ऐसा करने के पीछे का मकसद एक्सपायर हो चुके फूड आइटम्स को दोबारा बेचे जाने से रोकना है. 16 दिसंबर को जारी किए गए इस आदेश में कहा गया कि अब खाने-पीने की चीजों से संबंधित रिपोर्ट हर तिमाही में FSSAI के ऑनलाइन अनुपालन पोर्टल FOSCOS पर अनिवार्य रूप से जमा करना है. यह नियम फूड आइटम्स को रीपैकेट या रीलेबल किए जाने पर भी लागू होगा.
डेटा में इन तीन बातों का जिक्र जरूरी
डेटा में तीन प्रमुख बातों का जिक्र किया जाना जरूरी है. पहला- ऐसी कितनी चीजें हैं जिनकी क्वॉलिटी टेस्टिंग नहीं हो पा रही है, दूसरा- कंपनी में वापस भेजे गए या एक्सपायर हो चुके फूड आइटम्स की कितनी मात्रा है, तीसरा- इसे डिस्पोज किए जाने की भी पूरी जानकारी देनी होगी. यानी कि एक्सपायर या बेकार हो गई चीज को कैसे नष्ट किया गया या किसी वैकल्पिक तरीके से इसे उपयोग किया गया या नहीं या इसकी नीलामी कराई गई या नहीं. यह भी बताना होगा कि एक्सपायर या रिजेक्ट फूड आइटम्स को डिस्पोज किस एजेंसी ने किया या किन उपभोक्ताओं ने इसे खरीदा.
लागू हो चुका है नया नियम
यह नया कानून लागू हो चुका है इसलिए मैन्युफैचररर्स को जल्द से जल्द डेटा जुटाना होगा ताकि वे जल्द अपनी रिपोर्ट जमा करा सके और इसकी समीक्षा हो सके.
ये भी पढ़ें
क्या बच्चों की प्रॉपर्टी पर होता है मां-बाप का हक ? पढ़ें क्या कहता है कानून
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
