FSSAI to Surveillance on Milk and Milk Products: नकली दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स पर नकेल कसने के लिए खाद्य नियामक FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) कड़ा कदम उठाने जा रहा है. FSSAI ने गुरुवार को जानकारी दी कि वह नकली दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स पर नकेल कसने के लिए रेगुलेटर देशभर में अभियान चलाने जा रहा है. इसके तरह भारत के अलग-अलग हिस्सों से दूध और दूध से बनी चीज जैसे दही, मावा, छेना, पनीर, घी, बटर, आइसक्रीम आदि के सैंपल इकट्ठा कर इसकी जांच की जाएगी. इन सैंपलों का कलेक्शन प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर पर किया जाएगा.


FSSAI क्यों चलाएगा अभियान?


बिजनेस लाइन में छपी रिपोर्ट के अनुसार भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने बताया कि दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स की जांच करने के पीछे यह कारण है कि दूध भारत में लोगों के खानपान का एक अभिन्न हिस्सा है. देश में हर उम्र वर्ग के लोग दूध और दूध से बनी चीजों का सेवन करते हैं. बदलते लाइफस्टाइल के साथ ही लोग आजकल स्वास्थ्य को लेकर बहुत सजग हो गए हैं और इस कारण देश में दूध की खपत भी बढ़ी है. ऐसे में नकली दूध और उसके प्रोडक्ट्स पर नकेल कसने के लिए FSSAI ने यह कदम उठा रहा है. इस सर्वे में FSSAI गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों दोनों का ही आकलन करेगा और मिलावटी केंद्रों की पहचान करेगा. इसके बाद रिपोर्ट के अनुसार गाइडलाइन जारी की जाएगा और एक्शन भी लिया जाएगा. इस जांच में संगठित और असंगठित दोनों ही सेक्टर को शामिल किया गया है.


साल 2011 से अब तक हुए हैं पांच सर्वे-


राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साल 2018 में राष्ट्रीय दुग्ध सुरक्षा और गुणवत्ता सर्वेक्षण का आयोजन किया गया था. इसमें कुल 6,432 दूध के नमूने संगठित और असंगठित क्षेत्रों से लिए गए थे. इन नमूनों को  50,000 से अधिक जनसंख्या वाले शहरों और कस्बों से एकत्रित किया गया था. इसके अलावा साल 2020 में FSSAI ने त्योहारों के दौरान दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स का सर्वेक्षण 542 जिलों में किया था जिसमें कुल 2,801 सैंपल लिए गए थे. इसमें संगठित और असंगठित दोनों ही क्षेत्र को शामिल किया गया था. वहीं साल 2022 में लम्पी स्किन डिजीज के बाद कुल 12 राज्यों में FSSAI ने दूध सर्वेक्षण किया था. 


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