अगस्त महीने के दौरान देश में ईंधन की खपत बढ़ गई. तेल एवं गैस मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने डीजल की खपत देश में 5 फीसदी बढ़ी, जबकि पेट्रोल की खपत में 3 फीसदी की तेजी दर्ज की गई. ये आंकड़े जहां एक ओर देश में अगस्त महीने के दौरान आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी का संकेत देते हैं, वहीं दूसरी ओर ये आंकड़े एक विरोधाभास भी तैयार करते हैं.
सरकारी कंपनियों की बिक्री
दरअसल सालाना आधार पर अगस्त महीने के दौरान दोनों प्रमुख ईंधन डीजल और पेट्रोल की डिमांड तो बढ़ी, लेकिन सरकारी कंपनियों की बिक्री कम हो गई. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त महीने के दौरान सालाना आधार पर सरकारी तेल विपणन कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम की सम्मिलित बिक्री में गिरावट आई. इन कंपनियों की बिक्री पेट्रोल के मामले में साल भर पहले की तुलना में 0.4 फीसदी ज्यादा रही, जबकि डीजल की बिक्री में 2.9 फीसदी की गिरावट आई. इस तरह देखें तो ओवरऑल इन तीनों सरकारी कंपनियों की बिक्री अगस्त महीने में कम हुई.
इन कंपनियों को होने लगा लाभ
इसका कारण साफ है और वह है कि सरकारी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी पर प्राइवेट तेल कंपनियों ने कब्जा जमाया. दरअसल पिछले साल सरकारी तेल विपणन कंपनियां खुले बाजार की दर से कम भाव पर डीजल-पेट्रोल बेच रही थीं, जबकि प्राइवेट कंपनियों जैसे रिलायंस-बीपी और रोसनेफ्ट बैक्ड नायरा ने बिक्री कम कर दी थी. इस बार मामला बराबरी का रहा तो निजी कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ गई, जिसका खामियाजा सरकारी कंपनियों की बिक्री को भुगतना पड़ा.
एटीएफ का सुधरने लगा हाल
आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने के दौरान विमानन ईंधन एटीएफ की बिक्री साल भर पहले की तुलना में 14 फीसदी बढ़ गई. एटीएफ की बिक्री को विमानन सेक्टर की गतिविधियां बढ़ने से फायदा हुआ है. अब जेट फ्यूल ने बिक्री के मामले में कोविड के लॉस को रिकवर कर लिया है. कोरोना महामारी के दौरान विमानन सेक्टर को बहुत नुकसान हुआ था और उसे पूरी तरह उबरने में कई साल लग गए हैं.
इतनी बढ़ी ओवरऑल डिमांड
अगस्त महीने के दौरान रसोई गैस एलपीजी यानी लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस की खपत में साल भर पहले की तुलना में 3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. आलोच्य महीने में रिफाइंड फ्यूल की ओवरऑल खपत में 6.5 फीसदी की तेजी आई.
सबसे ज्यादा यूज होता है डीजल
घरेलू बाजार में ईंधन की खपत को देखें तो उसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी डीजल की होती है. डीजल का इस्तेमाल कृषि से लेकर माल ढुलाई तक में बड़े पैमाने पर होता है. इस कारण अकेले डीजल कुल ईंधन मांग में करीब 40 फीसदी का योगदान देता है.
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