कच्चे तेल के भाव में लगातार हो रहे बदलाव के बाद भी लंबे समय से देश में डीजल और पेट्रोल की कीमतें कमोबेश स्थिर बनी हुई हैं. कच्चे तेल के भाव में नरमी आने से लोग डीजल और पेट्रोल की कीमतों में राहत की उम्मीद लगाए हुए हैं, लेकिन अब तक उनके हाथों सिर्फ निराशा ही आई है. इस बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक ऐसी बात की है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है.


गडकरी ने किया ये दावा


नितिन गडकरी का कहना है पेट्रोल की कीमतें 15 रुपये प्रति लीटर हो सकती हैं. स्वाभाविक है कि इस बात पर हर कोई हैरान रह जाएगा. अभी की बात करें तो देश के ज्यादातर हिस्से में डीजल और पेट्रोल के भाव 100 रुपये प्रति लीटर के पार निकले हुए हैं. ऐसे में अगर कोई भाव इस कदर कम हो जान की बात करे तो हैरानी होना स्वाभाविक ही है.


वैकल्पिक ईंधनों को बढ़ावा


हालांकि गडकरी ने इसके लिए जिन शर्तों की बात की है, उनके ऊपर गौर करने के बाद यह बात उतनी हैरान नहीं करती है. दरअसल गडकरी लंबे समय से वैकल्पिक ईंधनों पर जोर दे रहे हैं. कुछ ही समय पहले वह हाइड्रोजन ईंधन पर चलने वाली कार ड्राइव करते नजर आए थे. फ्लेक्स फ्यूल इंजन वाले वाहनों पर वह काफी जोर दे रहे हैं. गडकरी का मंत्रालय इलेक्ट्रिक कारों को खूब प्रमोट कर रहा है. वहीं सरकार पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंड करने पर भी जोर दे रही है.


आयात पर भारत की निर्भरता


भारत के आयात बिल में अभी सबसे ज्यादा हिस्सा क्रूड ऑयल का ही रहता है. इसका कारण है अर्थव्यवस्था की बढ़ती गति के साथ ऊर्जा की जरूरतें बढ़ रही हैं. इसे पूरा करने के लिए भारत को अपनी कुल जरूरत के 85 फीसदी से ज्यादा हिस्से को आयात से पूरा करना पड़ता है. दूसरी ओर पेट्रोल व डीजल जैसे पारंपरिक ईंधनों के इस्तेमाल से प्रदूषण बढ़ता है. सरकार पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए और आयात के बिल को कम करने के लिए परंपरिक ईंधनों पर निर्भरता कम करने का प्रयास कर रही है.


ये है गडकरी का फॉर्मूला


गडकरी ने हाल में जो फॉर्मूला बताया है, वह सरकार की इन्हीं बदली प्राथमिकताओं को केंद्र में रखकर निकाला गया है. उनका कहना है कि अगर 60 फीसदी इथेनॉल और 40 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी के औसत को शामिल किया जाए, तब पेट्रोल 15 रुपये लीटर में उपलब्ध हो सकता है, जिससे आम लोगों को फायदा होगा.


हकीकत से कोसों दूर है ये कल्पना


हालांकि गडकरी का यह दावा अभी हकीकत बनने से कोसों दूर है. अभी वाहनों की कुल बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों का हिस्सा 10 फीसदी से कम है. वहीं 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य पाने के लिए सरकार ने साल 2025 की डेडलाइन सेट की है. इसे देखते हुए 60 फीसदी इथेनॉल और 40 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी की बात फिलहाल के लिए कल्पना ही साबित होती है.


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