बिग बाजार (Big Bazaar) ब्रांड के जरिए शॉपिंग को नया रूप देने वाली फ्यूचर रिटेल (Future Retail) के उबरने के सारे रास्ते बंद हो गए हैं. कर्जदाताओं की समिति (COC) ने स्पेस मंत्रा द्वारा दिए गए प्रस्ताव को नकार दिया है. इसके बाद किशोर बियानी के नेतृत्व वाली दिग्गज कंपनी फ्यूचर रिटेल ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच के समक्ष लिक्विडेशन प्रोसेस शुरू करने का आवेदन दिया है. कंपनी ने शेयर बाजार को इसकी सूचना दे दी है.
स्पेस मंत्रा की बोली हुई खारिज
कंपनी ने जानकारी दी कि कंस्ट्रक्शन मटेरियल कंपनी स्पेस मंत्रा द्वारा प्रस्तुत समाधान योजना को फ्यूचर रिटेल की सीओसी ने मंजूर नहीं किया है. स्पेस मंत्रा ने सबसे ऊंची बोली लगाई थी. इसके अलावा पिनेकल एयर, पाल्गुन टेक एलएलसी, लहर सॉल्यूशंस, गुडविल फर्नीचर और सर्वाभिष्ट ई-वेस्ट मैनेजमेंट कंपनियां भी फ्यूचर ग्रुप के लिए बोली में शामिल थीं. इसके बाद प्रक्रिया का मैनेजमेंट कर रही कंपनी ने लिक्विडेशन प्रोसेस शुरू करने की सलाह दी. रिलायंस रिटेल से डील टूटने के बाद से ही फ्यूचर ग्रुप समस्याओं में फंसा हुआ है.
क्यों फेल हुई डील
स्पेस मंत्रा के प्रस्ताव पर 30 सितंबर को वोटिंग हुई थी. कर्जदाताओं से इसे कम से कम 66 फीसद वोट मिलने चाहिए थे. मगर, कुल 42 फीसद वोट ही मिले. इसके साथ ही फ्यूचर रिटेल का भविष्य अंधकारमय हो गया. स्पेस मंत्रा ने 550 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. कंपनी पर लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है.
430 शहरों में 1500 रिटेल आउटलेट चलाती थी कंपनी
फ्यूचर रिटेल ने भारतीय लोगों को खरीदारी का नया अनुभव दिया था. समूह की कंपनियों बिग बाजार, ईजीडे और फूडहॉल को काफी पसंद किया जाने लगा था. सफलता के दिनों में कंपनी 430 शहरों में लगभग 1500 रिटेल आउटलेट चलाती थी. रिटेल के साथ ही होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग सेगमेंट में भी कंपनी का बर्चस्व हो गया था. फ्यूचर ग्रुप में लगभग 19 कंपनियां काम कर रही थीं. अगस्त, 2020 में रिलायंस रिटेल ने 24713 करोड़ रुपये में फ्यूचर ग्रुप का अधिग्रहण किया. मगर, अमेजॉन से कानूनी लड़ाई शुरू होने के बाद कर्जदाताओं ने इस सौदे पर रोक लगा दी.
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