GAIL Creates History: देश की दिग्गज गैस कंपनी गेल इंडिया शिप टू शिप एलएनजी (LNG) ट्रांसफर करने वाली दुनिया की पहली कंपनी बन गई है. इस नए प्रयोग से कंपनी ने न सिर्फ पैसा बचाया बल्कि को CO2 उत्सर्जन में काफी कटौती भी की है. सरकारी कंपनी गेल इंडिया ने यह प्रयोग एलएनजी को अमरीका से भारत लेन वाले रूट पर किया. कंपनी ने अमरीका से सालाना 5.8 मिलियन टन एलएनजी लेने का समझौता किया है.
54 दिन में 19.5 हजार नॉटिकल मील का सफर तय करते हैं शिप
अमरीका से भारत तक एलएनजी शिप को आने में 54 दिन में 19554 नॉटिकल मील का राउंड ट्रिप करना पड़ता है. अमरीका में सबीना पास से स्वेज नहर और जिब्राल्टर होते हुए भारत तक आने वाला एलएनजी शिप 15600 टन कार्बन उत्सर्जन भी करता है. नई तकनीक और शिप का डेस्टिनेशन बदलकर कार्बन उत्सर्जन घटाने की कोशिश की जाती है. मगर गेल के इस नए प्रयोग ने यात्रा के दौरान CO2 उत्सर्जन को काफी कम रखने में मदद की.
कैसे हुआ यह ट्रांसफर
गेल ने अमरीका से एलएनजी लाने के लिए हाल ही में कैस्टिलो डि सैंटिस्टेबन जहाज से समझौता किया था. इन जहाज ने जिब्राल्टर में ही एलएनजी को कतरगैस के अल गराफा जहाज पर ट्रांसफर कर दिया और वापस अमेरिका लौट गया. वहां से अल गराफा एलएनजी को गुजरात के दाहेज पोर्ट पर लेकर आया. इस नए सिस्टम ने करीब 8736 नॉटिकल मील यात्रा और 7000 टन CO2 उत्सर्जन की बचत की. साथ ही गैस भी भारत में 54 के बजाय सिर्फ 27 दिन में आ गई और गेल इंडिया को भी लगभग 1 मिलियन डॉलर की बचत हुई.
गंगा पर बनाया था तैरता हुआ सीएनजी स्टेशन
गेल ने कुछ महीनों पहले ही वाराणसी में गंगा नदी पर तैरता हुआ सीएनजी स्टेशन बनाया था. यह स्टेशन सीएनजी से चलने वाली नावों में फ्यूल भर सकता है. इस नवीन प्रयोग के लिए कंपनी को ‘इनोवेशन अवॉर्ड- इंडिया एंड मिडस्ट्रीम प्रोजेक्ट ऑफ द ईयर’ पुरस्कार दिया गया था. कंपनी ने करीब 1200 बोट को पेट्रोल-डीजल से सीएनजी में बदला था. इससे नाव चलाने वालों को हर महीने करीब 70 लाख रुपये की बचत होने लगी है.
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