Gas Price Hike: रूस यूक्रेन युद्ध के बाद गैस के दामों में लगी आग, रूस से गैस की सप्लाई बाधित होने की आशंका के चलते बढ़े दाम
Gas Prices Update: यूरोप अपने खपत के एक तिहाई से ज्यादा यानि 40% गैस के लिए रूस पर निर्भर है. गैस यूक्रेन के रास्ते पाइपलाईन के जरिए यूरोप आती है. इसमें कोई भी रुकावट यूरोप की मुश्किलें बढ़ा सकती है.
Gas Prices Hike: रूस के यूक्रेन पर सैन्य हमले के बाद सप्लाई बाधित होने की आशंका और रूस पर लगाये गए आर्थिक प्रतिबंधों के चलते प्राकृतिक गैस, कच्चे तेल, एल्युमिनियम समेत कई कमोडिटी के दामों में तेजी देखी जा रही है. गैस के की कीमत यूरोप में 21 दिसंबर 2021 के बाद फिर से 2,000 डॉलर 1000 क्यूबिक मीटर के पास जा पहुंची है. गैस के दामों में उछाल है तो कच्चे तेल के दाम भी 110 डॉलर प्रति बैरल के पार जा पहुंचा है. और किसी भी देश की अर्थव्यवस्था तो गति देने के लिए ये जरुरी ईंधन का रूस बड़े सप्लायरों में से एक है.
रूस के गैस से चलता है यूरोप
रूस पर अमेरिका यूरोप ने जो आर्थिक प्रतिबंध लगाया है उसमें एनर्जी यानि कच्चा तेल और गैस शामिल नहीं है. लेकिन प्रतिबंधों के चलते खरीदने वाले, फाइनैंसर यानि बैंक और जहाज रूस के साथ ट्रेड करने से पीछे हट सकते हैं. वहीं रूस भी गैस सप्लाई को बंद कर सकता है. यूरोप अपने खपत के एक तिहाई से ज्यादा यानि 40 फीसदी गैस के लिए रूस पर निर्भर है. इनमें से गैस यूक्रेन के रास्ते पाइपलाईन के जरिए यूरोप आती है. इसमें कोई भी रुकावट यूरोप की मुश्किलें बढ़ा सकती है. बिजली संकट, से लेकर गैस आधारित चलने वाले मेसल्स स्मेलटर्स और फर्टिलाइजर्स प्रोडक्शन पर असर पड़ सकता है.
2021 में रूस ने 100 अरब डॉलर का तेल - गैस किया आयात
रूस की गैस कंपनी Gazprom के मुताबिक यूरोप के खरीद यूरोप के खरीदार अभी भी उससे गैस खरीद रहे हैं और सप्लाई बदस्तूर जारी है. लेकिन रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को सख्त किया गया तो रूस गैस की सप्लाई यूरोप को रोक सकता है. आपको बता दें रूस गैस का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. 2021 में रूस ने 100 अरब डॉलर का ऑयल एंड गैस बेचा था.
ऑयल और गैस सप्लाई पर बंदिशें संभव?
गैस के दामों में उछाल की बड़ी वजह ये भी है कि अमेरिका रूस के ऑयल और गैस सप्लाई पर बंदिशें लगाने पर विचार कर रहा है. यूरोप के देश रूस के गैस पर निर्भरता को घटाना चाहते हैं इसलिए वे अब पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने में जुट गए हैं. जर्मनी ने तो 2035 तक बिजली का उत्पादन पूरी तरह रीन्यूएबल सोर्सेज से पूरा करने का फैसला किया है. कई यूरोपीय कंपनी जो रूस में ऑयल एंड गैस सेक्टर में काम कर रही थी वे अपना निवेश पीछे खींच रही हैं.
भारत पर क्या होगा असर?
गैस की बढ़ती कीमतों को भारत को भी परेशान करने वाली है. अप्रैल महीने में केंद्र सरकार प्राकृतिक गैस के दामों की समीक्षा करने वाली है. हर छह महीने पर अप्रैल और अक्टूबर महीने में गैस के दामों की समीक्षा की जाती है. जानकार मानते हैं प्राकृतिक गैस कीमतें 2.9 डॉलर प्रति यूनिट से बढ़कर 6 से 7 डॉलर प्रति यूनिट तक जा सकती है. जनवरी से दिसंबर 2021 के बीच इंटरनेशनल गैस प्राइस के आधार पर सरकार अप्रैल में गैस के दाम तय करेगी.
आपको बता दें अगर प्राकृतिक गैस के दामों में इजाफे से सीएनजी-पीएनजी तो महंगी होगी ही बिजली से लेकर फर्टिलाइजर भी महंगा होगा. अंतरराष्ट्रीय बाजारों ( International Markets) में प्राकृतिक गैस ( Natural Gas) के दामों में भारी बढ़ोतरी के चलते गैस की कीमतों में भारी उछाल आने की संभावना है. एक अनुमान के मुताबिक गैस के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी तक हो सकती है.
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