नई दिल्लीः जाने-माने उद्योगपति गौतम अडानी ने कहा कि जब तक ग्रामीण आबादी को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराने के विकास मॉडल के साथ गांवों से शहरों की ओर पलायन को रोका नहीं जाता है तब तक देश की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है. गुजरात के आणंद स्थित ग्रामीण प्रबंधन संस्थान के छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कृषि और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा देने के लिये संकुल आधारित नीतियों और डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने का आह्वान किया.


देश में हर चार में से एक प्रवासी मजदूर-अडानी
अडानी ने कहा, ‘‘देश में प्रवासी कामगारों की कुल संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है. देश में हर चार में से एक प्रवासी मजदूर है. कुछ प्रवास लाभकारी है. हालंकि जब तक आप गांवों से शहरों में पलायन से नहीं निपटते हैं, भारत की वृद्धि प्रभावित होगी.’’ उन्होंने कहा कि ग्रामीण-शहरी असंतुलन अवसरों की असमानता में प्रतिबिंबित होता है जिसका समाधान किये जाने की जरूरत है.


ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मॉडल विकसित करना जरूरी- गौतम अडानी
अडानी ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि आप सभी को कोविड-19 संकट के कारण लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों के अपने गांवों की ओर लाटैने की तस्वीरें स्पष्ट तौर पर याद होंगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले से कहीं अधिक, यह जरूरी हो गया है कि हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मॉडल विकसित करें जहां स्थानीय आबादी को उनके घर के पास ही रोजगार मिल सके. इसका मतलब है कि हमें इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है कि हमारी स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का ढांचा किस प्रकार का है और कैसे उन्हें स्थापित किया गया है.’’


इजरायल का दिया उदाहरण
बंदरगाह से लेकर बिजली क्षेत्र तक में काम करने वाले अडानी समूह के प्रमुख ने इजरायल का उदाहरण दिया. इजरायल ने आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ ग्रामीण संस्कृति (किबबुत्ज) को मिलाया और आत्मनिर्भरता हासिल की. उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 संकट ने हमें हमें ग्रामीण विकास मॉडल पर पुनर्विचार के लिये मजबूर किया है.’’





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