Gautam Adani Success Story: देश के जाने-माने उद्योगपति गौतम अडाणी आज गुजरात के पालनपुर में विद्यामंदिर ट्रस्ट के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. उन्होंने इस मौके पर अपने कारोबार के बारे में बताते हुए कई रोचक बातें बताईं. उनका मानना है कि देश को एक अदानी नहीं सौ अदानी चाहिए. 


गौतम अडानी की सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी


अपनी सफलता की कहानी बताते हुए गौतम अडानी ने अपने शुरुआती कारोबारी जीवन के बारे में भी बताया और कहा कि उनका पहला ट्रेड जापान की कंपनी के साथ किया गया था. इसके कमीशन के तौर पर 10 हजार रुपये की कमाई की गई थी. पहली कमाई से भी मन में साहस और आत्मविश्वास आया. हालांकि उन्हें ऐसा लगता है कि कॉलेज न जा पाने का दुख है, अगर जा पाते तो बहुत फायदा होता. इस समय हमारे देश को देश को एक अडानी नहीं 100 अडानी चाहिए. उनका कहना है कि शुरुआती दौर में राजीव गांधी और नरसिम्हा सरकार की नीतियों से उन्हें बिजनेस बढ़ाने में काफी मदद मिली थी.


कैसे आया कारोबार में बड़ा उछाल


गौतम अडानी ने कहा कि उनके जीवन का सबसे अच्छा ब्रेक साल 1985 में मिला जब राजीव गांधी आम चुनाव जीते और 1985 में राजीव गांधी सरकार ने इम्पोर्ट नीति बदली. ट्रेडिंग में मेरा अनुभव नहीं था लेकिन मैंने सीखा. छोटे उद्योगों को पॉलीमर की सप्लाई शुरू की. मेरी ग्लोबल ट्रेडिंग बिजनेस की नींव यहीं से पड़ी. संकट और मौके हमेशा एक साथ आते हैं. 1991 में भारत में विदेशी मुद्रा संकट आया और देश में 10 दिन से कम की विदेशी मुद्रा बची थी. तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने रुपये का अवमूल्यन किया था और एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया.


गौतम अडानी अपने पहले आईपीओ के बारे में जानकारी दी


गौतम अडानी ने कहा कि मैंने बड़ा ट्रेडिंग हाउस बनाने का फैसला किया और पॉलीमर, मेटल, टेक्सटाइल में ट्रेडिंग शुरू की. देश में हम सबसे बड़े ग्लोबल ट्रेडिंग कपनी बने और सिर्फ दो साल में हमने ये मुकाम हासिल किया. मैं उस वक्त सिर्फ 29 साल का था. स्केल और स्पीड को हमने महत्व दिया और 1994 में हमने IPO लॉन्च कर दिया. 


युवा साथियों के लिए सफलता के मंत्र


गौतम अडानी ने कहा कि पहली पीढ़ी के आंत्रप्रेन्योर्स के पास एक अच्छा फायदा होता है कि उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता और उनका विश्वास उनकी ताकत होता है. मेरे साथ भी ऐसा हुआ और अपने भरोसे को मैंने हकीकत बनाकर अपनी ताकत बढ़ाई.


शिक्षा की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है


इतने सालों में मेरा शिक्षा और शिक्षितों को लेकर सम्मान और बढ़ गया है क्योंकि जब मैं देखता हूं कि ऐसे लोग अडानी समूह के लिए क्या- क्या कर रहे हैं तो और अधिक आदर करता हूं.



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