GDP Data: कोरोना के दस्तक देने और लॉकडाउन के चलते 2020-21 में देश का जीडीपी (-) 6.6 फीसदी रहा, संशोधित आंकड़ा किया गया जारी
GDP Data: 2020-21 में कोरोना महामारी के दस्तक देने और लॉकडाउन के चलते देश का जीडीपी घटकर - 6.6 फीसदी तक गिर गया था.
![GDP Data: कोरोना के दस्तक देने और लॉकडाउन के चलते 2020-21 में देश का जीडीपी (-) 6.6 फीसदी रहा, संशोधित आंकड़ा किया गया जारी GDP Contracted at - 6.6% in 2020-21 says CSO Earlier 7.3% was provisional data GDP Data: कोरोना के दस्तक देने और लॉकडाउन के चलते 2020-21 में देश का जीडीपी (-) 6.6 फीसदी रहा, संशोधित आंकड़ा किया गया जारी](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/06/01/85e2ac6c9a264e8de3a21b48a1217daf_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
GDP Data For 2020-21: कोरोना महामारी का अर्थव्यवस्था पर कितना दुष्प्रभाव पड़ा है इसका पता सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए इस आंकड़े से पता लगता है. 2020-21 में कोरोना महामारी के दस्तक देने और लॉकडाउन के चलते देश का जीडीपी घटकर - 6.6 फीसदी तक गिर गया था. इससे पहले मई 2021 में जो प्रोविजनल डाटा जारी किया गया था उसमें -7.3 फीसदी जीडीपी रहने का अनुमान जताया गया था. यानि सांख्यिकी विभाग के संशोधित आंकड़े के मुताबिक जीडीपी में और ज्यादा गिरावट रही थी.
साल 2019-20 में स्थिर (2011-12) कीमतों पर वास्तविक जीडीपी 145.16 लाख करोड़ रुपये रहा था जो 2020-21 में घटकर 135.58 लाख करोड़ रुपये रह गया. 2019-20 में जीडीपी 3.7 फीसदी रहा था जबकि 2020-21 में - 6.6 प्रतिशत रहा था.
बहरहाल आर्थिक सर्वे का रिपोर्ट जो संसद में पेश किया गया उसके मुताबिक 2021-22 में जीडीपी 9.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. जबकि अगले साल ( 2022-23 ) आर्थिक विकास दर 8- 8.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. इस ऊंचे विकास दर का कारण व्यापक टीकाकरण अभियान, सप्लाई में सुधार, नियमों में ढील, निर्यात में जबरदस्त उछाल और राजस्व के मामले में बेहतर स्थिति को बताया गया है.
वित्आत मंत्रालय के प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल ने कहा कि आर्थिक विकास की गाड़ी पटरी पर है लेकिन अर्थव्यवस्था पूरी तरह से दिक्कतों से बाहर नहीं निकली है. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी आई है तो वहीं कई देशों के सेंट्रल बैंक ब्याज दर बढ़ाने वाले हैं ये सभी बातें भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत मायने रखती है. उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के दामों में आ रही बढ़ोतरी के चलते हमें आयातित महंगाई को लेकर सतर्क रहना होगा.
उन्होंने कहा कि अब कोरोना महामारी का बहुत असर देखने को नहीं मिलेगा साथ ही लॉकडाउन के भी आसार नहीं है जिसके चलते अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने में कोई बाधा आने की संभावना नहीं है. इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद है. इस वर्ष तक ग्लोबल सप्लाई चेन में दिक्कत रहेगी लेकिन धीरे धीरे इसमें कमी आएगी. संजीव सान्याल ने बताया कि भारत के पास अब दुनिया में सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार है, और यह 13.2 महीने के आयात के बराबर है. टैक्स और गैर-टैक्स से प्राप्त राजस्व में बढ़ोतरी आई है.
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