सरकार की ओर से तीन लाख करोड़ रुपये का पैकेज जारी करने के बावजूद एमएसएमई की हालत ठीक नहीं है. क्रिसिल के हाल के आकलन के मुताबिक अगर जीडीपी में पांच फीसदी की कमी आई तो एमएसएमई की कमाई 21 फीसदी घट जाएगी. क्रिसिल ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए कदमों से भी एमएसएमई को राहत मिलती दिखाई नहीं देती.
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक कोविड-19 की वजह से छोटी और मझोली कंपनियों के सामने संकट की स्थिति पैदा हो गई है. अगर हालात ऐसे ही रहे और जीडीपी में पांच फीसदी तक गिरावट आई तो एमएसएमई की कमाई 21 फीसदी तक घट जाएगी. इनके ऑपरेटिंग प्रॉफिट में चार से पांच फीसदी की गिरावट आ सकती है.
क्रिसिल ने कॉरपोरेट कंपनियों के रेवेन्यू में भी गिरावट की आशंका जताई है. उसका कहना है कि जीडीपी घटने से कॉरपोरेट कंपनियों की कमाई 15 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है.
स्टार्टअप के पास फंड नहीं, चार फीसदी बंद हुए
कोविड-19 की वजह से अर्थव्यवस्था को लगे झटके से स्टार्टअप का संकट बढ़ गया है. लॉकडाउन की वजह से कारोबार बंद होने से 38 फीसदी स्टार्ट-अप के पास पूंजी नहीं है. जबकि चार फीसदी फंड के अभाव में बंद हो गए हैं. 30 फीसदी के पास सिर्फ दो से तीन महीने का कैश बचा है. लोकल सर्किल के एक सर्वे में कहा गया है कि 16 फीसदी स्टार्टअप के पास सिर्फ तीन से छह महीने की पूंजी बची है. 12 फीसदी के पास एक महीने से कम का कैश बचा है. चार फीसदी का कहना है कि लॉकडाउन के कारण वे पहले ही अपना कारोबार बंद कर चुके हैं.
जहां तक एमएसएमई का सवाल है कि उन्हें घाटा हुआ तो रोजगार पर काफी असर होगा. देश में इस वक्त छह करोड़ एमएसएमई हैं और इनमें लगभग 11 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को प्राइवेट बैंकों से कहा कि वे सरकार की ओर से जारी तीन लाख करोड़ रुपये के पैकेज के तहत एमएसएमई को फंड दें.