नई दिल्लीः नोटबंदी का विकास दर पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है. कम से कम आर्थिक विकास के ताजा आंकड़े तो यही बताते हैं.


केंद्रीय सांख्यिकी संगठन यानी सीएसओ के ताजा आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर से दिसम्बर यानी कारोबारी साल की तीसरी तिमाही के दौरान आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि ये दूसरी तिमाही के 7.4 फीसदी से कम है. लेकिन रिसर्च एजेंसियों और अर्थशास्त्रियो के अनुमान से कहीं ज्यादा. यही वो तिमाही है जिसके दो महीने यानी नवम्बर और दिसम्बर के दौरान नोटबंदी का फैसला लागू किया गया था. आशंका जतायी गयी थी कि बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियों में कामकाज ठप हो गया और बड़े पैमाने पर कामगारों की छंटनी की गयी.. लेकिन सीएसओ के आंकड़ों ने फिलहाल ऐसी आशंका को काफी हद तक झुठला दिया है.



पूरे कारोबारी साल यानी 2016-17 की बात करें तो विकास दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. ये रिजर्व बैंक के अनुमान 6.9 फीसदी से ज्यादा है. कई दूसरी एजेंसियों ने भी अनुमान लगाया था कि विकास दर सात फीसदी से कम रहेगी.

विकास दर को 7 फीसदी पर बनाए रखने में सबसे अहम हिस्सेदारी खेती बाड़ी की है. बेहतर मानसून की वजह से खेती बाडी की विकास दर 6 फीसदी पर रहने का अनुमान है जबकि बीते साल की तीसरी तिमाही में ये नकारात्मक थी, वहीं चालू कारोबारी साल की दूसरी तिमाही में विकास दर 3.8 फीसदी थी.

दूसरी ओर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने भी अच्छी खबर दी है. तीसरी तिमाही में इसकी विकास दर 8.3 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि दूसरी तिमाही में ये दर 6.9 फीसदी थी. हालांकि बीते कारोबारी साल की तीसरी तिमाही में 12 फीसदी से ज्यादा थी. मैन्युफैक्चरिंग की बेहतर स्थिति का मतलब ये है कि रोजगार के ज्यादा मौके बनेंगे. ये नोटबंदी के बाद की आम धारणा से उलट है जिसमें कहा गया था कि रोजगार के मौके घट रहे हैं.

विकास के ताजा अनुमान भले ही नोटबंदी की आशंकाओं को झुठला रहे हैं. लेकिन जानकार इन आंकड़ों से सहमत नहीं दिख रहे. उनका मानना है कि ये सारा आंकलन संगठित क्षेत्र के आधार पर किया गया है जबकि हमारी अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा असंगठित यानी अनौपचारिक क्षेत्र में है. सच यही है कि नोटबंदी का ज्यादा असर अनौपचारिक क्षेत्र पर पड़ा है. जानकार कहते हैं कि जब इन क्षेत्र के हालात को संज्ञान में लिया जाएगा तो विकास की सही तस्वीर सामने आ पाएगी. फिलहाल, सरकार के लिए राहत की बात यही है कि विकास दर 7 फीसदी के ऊपर बनी रहने का अनुमान है.