नई दिल्लीः सरकार ने वित्त वर्ष 2017 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) ग्रोथ के अनुमान के आंकड़े जारी कर दिए हैं. वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान दिया गया है जबकि वर्ष 2015-16 में यह 7.6 फीसदी पर थी. आपको बता दें कि पिछली क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई ने भी ग्रोथ की रफ्तार के अनुमान को 0.5 फीसदी घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया था. 7.1 फीसदी विकास दर का अनुमान पिछले 3 साल का निचला स्तर है. जीडीपी ग्रोथ का अनुमान कारोबारी साल के पहले 7 महीने के औद्योगिक उत्पादन के आधार पर लगाया गया है, यानि नोटबंदी के असर को इसमें शामिल नहीं किया गया है.


वित्त वर्ष 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय इससे पिछले साल के मुकाबले 10.4 फीसदी बढ़कर 1,03,007 रुपये होने का अनुमान है. सीएसओ (सेंट्रल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस) ने वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान दिया है जबकि वर्ष 2015-16 में जीडीपी 7.6 फीसदी पर थी. सीएसओ की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2011-12 के आधार वर्ष पर मौजूदा मूल्य के हिसाब से जीडीपी का स्तर 121.55 लाख करोड़ का है जबकि आधार वर्ष 2015-16 पर जीडीपी का प्रोविजन एस्टीमेट 113.50 लाख करोड़ का है. वहीं वित्त वर्ष 2017 में जीवीए (ग्रॉस वैल्यू ऐडेड) ग्रोथ का अनुमान भी घटाकर 7 फीसदी कर दिया गया है जो कि पहले 7.2 फीसदी बताया गया था.


वित्त वर्ष 2017 में कृषि सेक्टर की ग्रोथ में बड़ी तेजी का अनुमान है. वित्त वर्ष 2017 में कृषि सेक्टर की ग्रोथ 4.1 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि वित्त वर्ष 2016 में कृषि सेक्टर की ग्रोथ 1.2 फीसदी रही थी. वहीं, वित्त वर्ष 2017 में इंडस्ट्रीज की ग्रोथ 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2016 में इंडस्ट्रीज की ग्रोथ 7.4 फीसदी रही थी.


नोटबंदी के बाद जहां कई अर्थशास्त्री और रेटिंग फर्म्स ने भारत की जीडीपी गिरने का अनुमान लगाया था वहीं आज आए आंकड़े से ये चिंता और भी बढ़ सकती है क्योंकि नोटबंदी के असर को शामिल किए बिना ही देश की जीडीपी ग्रोथ में गिरावट का अनुमान आ गया है.


कल एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि नोटबंदी के बाद मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में सुस्ती से जीडीपी दर पर नकारात्मक असर देखा जाएगा. जिससे अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जीडीपी दर 5 फीसदी पर आ जाएगी जबकि, जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी 6 फीसदी रहेगी. यह नोटबंदी से पहले के सरकारी अनुमान से करीब 2 फीसदी कम है.