India GDP Data: वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास दर की गति धीमी पड़ने की आशंका है. जुलाई - सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट के 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है जो कि पिछले 18 तिमाही में सबसे कम है.खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उछाल के चलते शहरी इलाकों में खपत घटी है जिसके चलते आर्थिक विकास दर की रफ्तार के धीमे पड़ने की संभावना जताई जा रही है. 


6.5 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 


सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय आज शुक्रवार 29 नवंबर 2024 को मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी डेटा का एलान करेगा. उससे पहले रॉयटर्स को पोल में अर्थशास्त्रियों ने जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.5 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान जताया है जो कि पहली तिमाही के 6.7 फीसदी से कम है. साथ ही बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक के 7 फीसदी के अनुमान से भी कम है. अगर ये अनुमान सच साबित हुआ तो ये लगातार तीसरी तिमाही होगी जब आर्थिक ग्रोथ रेट की रफ्तार धीमी रहेगी. हालांकि इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाली इकोनॉमी बनी रहेगी.  


शहरी इलाकों में लोगों कम कर रहे खर्च!


भारतीय रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 7.2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान जताया है जो कि 2023-24 के 8.2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट से कम है. अर्थशास्त्रियों ने बताया कि खाद्य महंगाई में तेज उछाल, महंगा कर्ज और वेतन के कम बढ़ने के चलते शहरी इलाकों में लोगों ने अपने घरेलू खर्च को कम करना शुरू कर दिया है इससे निजी खपत प्रभावित हुआ है जिसका जीडीपी में 60 फीसदी योगदान है. हालांकि मौजूदा वर्ष में ग्रामीण इलाकों में शहरी इलाकों के मुकाबले डिमांड में बढ़ोतरी देखी जा रही है.


महंगाई के चलते घट रही खपत 


अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी को पार करते हुए 6.21 फीसदी पर जा पहुंची है जो आरबीआई के टोलरेंस बैंड से अधिक है. अक्टूबर महीने में खाद्य महंगाई दर में भी तेज उछाल देखने को मिला है और ये डबल डिजिट को पार करते हुए 10.87 फीसदी पर जा पहुंची है इससे घरेलू पर्चेंजिंग पावर पर असर पड़ा है. जेपी मॉर्गन के अर्थशास्त्री तोशी जैन ने कहा, हाल के महीने में हाई फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर्स जैसे इंडस्ट्रियल आउटपुट, फ्यूल कंजम्प्शन, बैंक क्रेडिट ग्रोथ और कॉरपोरेट्स की कमजोर अर्निंग्स के चलते ग्रोथ पर असर पड़ा है. हालांकि सरकार की ओर से किए जाने वाले खर्च में बढ़ोतरी हुई है लेकिन इसके बावजूद डेटा बता रहे कि ग्रोथ रेट की रफ्तार कम हुई है. उन्होंने दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट के  6.3% से 6.5% रहने का अनुमान जताया है. 


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