नई दिल्लीः चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में देश की जीडीपी विकास दर घट गई है लेकिन नोटबंदी का जितना असर आने की बात कही जा रही थी वैसा नहीं हुआ है . वित्त वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर घटकर 7 फीसदी रही है. वित्त वर्ष 2017 की दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर 7.3 फीसदी रही थी. चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खेती बाडी की विकास दर 6 फीसदी रही है और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की विकास दर 8.3 फीसदी पर आई है. हालांकि नोटबंदी से विकास पर असर नहीं पडा क्योंकि अनुमान जताया जा रहा था कि नोटबंदी के चलते वित्त वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर 6.1 फीसदी तक घट जाएगी जो कि नहीं हुआ.




  • कारोबारी साल 2016-17 की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसम्बर में विकास दर 7 फीसदी रही है जो पिछले वित्त वर्ष 2016 की तीसरी तिमाही से तुलना करने पर भी कम ही रही है. वित्त वर्ष 2016 की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी रही थी.

  • इस तरह देखा जाए तो साल दर साल और तिमाही दर तिमाही दोनों आधार पर देश की जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई है जो आर्थिक मोर्चे पर चिंता की खबर हो सकती है.

  • वहीं 2016-17 की विकास दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है.



केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किए हैं और इन आंकड़ों में नोटबंदी का हल्का असर सामने आया है. हालांकि, ग्रोथ के आंकड़े अनुमान से बेहतर तो जरूर हैं क्योंकि नोटबंदी के चलते वित्त वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर 6.1 फीसदी तक घट जाने का अनुुमान था. इस लिहाज से देखा जाए 7 फीसदी वृद्धि दर  थोड़ी राहत की खबर है. अक्तूबर से दिसंबर तिमाही की जीडीपी के आंकड़ों में नोटबंदी का दौर शामिल है जिसके चलते बाजार में नकदी की काफी तंगी हुई थी.


नोटबंदी के असर के चलते पहले ही कई रिसर्च इंस्टीट्यूट और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.1 फीसदी से कम रहने का अनुमान जता दिया था. हालांकि, सीएसओ ने 6 जनवरी को जारी जीडीपी वृद्धि के अग्रिम आंकड़ों में वर्ष के दौरान 7.1 फीसदी वृद्धि रहने का अनुमान लगाया है. जनवरी 2017 में जीडीपी वृद्धि के अग्रिम आंकड़े जारी करते हुये नोटबंदी के असर को इसमें शामिल नहीं किया गया था.


रिजर्व बैंक ने भी इस बार की क्रेडिट पॉलिसी में चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि दर को घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया था. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने भी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत की विकास दर अनुमान को घटाकर 6.6 फीसदी किया था. इसके पीछे नोटबंदी को वजह बताते हुए आर्थिक गतिविधियों में फौरी रुकावट आने से जीडीपी वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ने की बात कही थी.