जर्मन एयरलाइंस लुफ्थांसा ने नौकरी की गारंटी मांगने पर 103 भारतीय फ्लाइट अटैंडेंट्स को निकाल दिया. एयरलाइंस ने उन्हें बिना वेतन के दो साल की छुट्टी पर जाने को कहा था लेकिन कर्मचारी नौकरी की गारंटी मांग रहे थे. इसके बाद एयरलाइंस ने इन सभी भारतीय अटैडेंट्स को नौकरी से निकालने का फैसला किया. लुफ्थांसा एयरलाइंस ने कहा है कि कोरोना संक्रमण की वजह से इंटरनेशनल ट्रैवल पर लंबे समय तक प्रतिबंध रहा है. इससे कंपनी की आय पर गहरा असर पड़ा है.
कंपनी ने कहा, री-स्ट्रक्चरिंग की वजह से उठाना पड़ा यह कदम
ये कर्मचारी एयरलाइंस से फिक्स्ड टर्म कॉन्ट्रैक्ट के जरिये जुड़े हुए थे. इनमें से कई 15 साल से नौकरी कर रहे थे. लुफ्थांसा के प्रवक्ता ने कहा है कि कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से लगे गहरे आर्थिक झटकों की वजह से इसे बिजनेस स्ट्रक्चरिंग का विकल्प अपनाना पड़ा. एयरलाइंस ने इन हालातों को देखते हुए इन कर्मचारियो के कॉन्ट्रैक्ट को आगे न बढ़ाने का फैसला किया है. हालांकि उसने यह यह नहीं बताया कि कितने फ्लाइट अटैंडेंट्स को नौकरी से हटाया गया है. कंपनी भारत के उन फ्लाइट्स अटैंडेट्स का कॉन्ट्रैक्ट आगे नहीं बढ़ा सकती, जो फिक्स्ड टर्म कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे थे. प्रवक्ता के अनुसार, कई सारे कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट पर कोई असर नहीं पड़ा है कि क्योंकि कंपनी उनके साथ अलग-अलग समझौते कर पाने में सफल रही है.
एयरलाइंस विमानों की संख्या में करेगी कटौती
कंपनी ने कहा कि वह मौजूदा स्थिति को देखते हुए 2025 तक तक अपने बेड़े में से 150 विमान घटा सकती है. इससे केबिन क्रू के कर्मियों की संख्या पर भी असर होगा. इसके अलावा विभिन्न देशों की सरकारों की ओर से इंटरनेशनल ट्रैवल पर लगी पाबंदियों से केबिन क्रू के कर्मचारियों के पास खास काम नहीं बचा है.
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