वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए साल 2024 अब तक ठीक साबित नहीं हुआ है. एक तरफ बड़ी व नामी कंपनियां दनादन छंटनी कर रही हैं. दूसरी ओर अब आर्थिक मंदी ने अपना दायरा बढ़ा दिया है. पिछले साल जर्मनी को शिकंजे में लेने के बाद अब आर्थिक मंदी ब्रिटेन तक पहुंच गई है और जापान के ऊपर भी मंडराने लगी है. हालांकि जर्मनी को एक फायदा भी हुआ है. सबसे बड़ी यूरोपीय अर्थव्यवस्था अब जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की नंबर-3 इकोनॉमी बन गई है.


जापान और जर्मनी की जीडीपी के साइज


यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी पिछले साल के दौरान कुछ समय के लिए हल्की मंदी की चपेट में चली गई थी. पूरे साल के हिसाब से 2023 में जर्मनी की जीडीपी 0.3 फीसदी सिकुड़ गई. वहीं जापान की अर्थव्यवस्था में पिछले साल के दौरान 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इसके बाद भी जीडीपी के साइज के मामले में जर्मनी ने जापान को पीछे छोड़ दिया है. आंकड़ों के अनुसार, जापान की इकोनॉमी का साइज 4.2 ट्रिलियन डॉलर है, जबकि जर्मनी की इकोनॉमी का साइज 4.5 ट्रिलियन डॉलर है.


दुनिया की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाएं


अभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका है, जिसका साइज करीब 27 ट्रिलियन डॉलर है. करीब 17 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के साथ चीन दूसरे स्थान पर है. जापान लंबे समय से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, लेकिन अब चौथे स्थान पर फिसल गया है. वहीं जर्मनी ने एक पायदान की छलांग लगाई है और अब चौथे के बजाय तीसरे स्थान पर है. करीब 3.75 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के साथ भारत पांचवें स्थान पर है.


सबसे ज्यादा इस कारण नुकसान


जापान को हुआ एक पायदान का नुकसान मुख्य तौर पर करेंसी रेट में उतार-चढ़ाव के कारण है. दरअसल पिछले 2 साल के दौरान जापान की करेंसी येन में भारी गिरावट आई है. डॉलर के मुकाबले येन का भाव इन दो सालों में करीब 20 फीसदी नीचे गिरा है. पिछले साल यानी 2023 में येन करीब 7 फीसदी टूटा है. यही कारण है कि करीब 2 फीसदी की ग्रोथ दर्ज करने के बाद भी डॉलर टर्म में जापान की जीडीपी का साइज कम हुआ है.


मंदी की चपेट में जापान और ब्रिटेन


जापान को आने वाले दिनों में सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था के चलते नुकसान उठाना पड़ सकता है. दिसंबर तिमाही के दौरान जापान की जीडीपी में 0.1 फीसदी की गिरवट आई. वहीं सितंबर तिमाही के एस्टिमेट को एडजस्ट करने के बाद शून्य से 0.8 फीसदी कम कर दिया गया. इस तरह कह सकते हैं जापान तकनीकी तौर पर मंदी की चपेट में आ गया है. मंदी ने ब्रिटेन को भी अपनी चपेट में ले लिया है. सितंबर तिमाही में ब्रिटेन की जीडीपी में 0.1 फीसदी की गिरावट आई थी. अब दिसंबर तिमाही में 0.3 फीसदी की गिरावट आई है. लगातार दो तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट निगेटिव रहने पर तकनीकी तौर पर मंदी मान ली जाती है.


ये भी पढ़ें: Recession Fear: क्या होती है आर्थिक मंदी! मंदी और इकॉनमिक स्लोडाउन में क्या है अंतर?