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इस देश को हर साल 2.88 लाख विदेशी कामकाजी वर्कर्स की जरूरत, भारत के लिए क्यों अच्छी खबर

Workforce Need: एक रिपोर्ट के मुताबिक इस देश को अपनी लेबर फोर्स पर बुजुर्ग आबादी के असर को कम करने की जरूरत है, इसके चलते वहां लाखों की संख्या में विदेशी कामगार चाहिए जो भारत के लिए अच्छी बात है.

Workforce Need: विश्व की पांच आर्थिक महाशक्तियों में से चौथी महाशक्ति जर्मनी को लेकर एक खास खबर आई है. जर्मनी को कुशल कामगारों (वर्कर्स) की कमी का सामना करना पड़ रहा है और इसके चलते वहां इमीग्रेशन को लेकर खासी अग्रेसिव पॉलिसी को अपनाने की जरूरत समझी जा रही है. इसका अर्थ है कि जर्मनी में हर साल लाखों अप्रवासी नागरिकों को जगह देनी पड़ेगी और ये खबर भारत के लिए राहत भरी साबित हो सकती है क्योंकि भारत से बड़ी संख्या में नागरिक जर्मनी जाते हैं. हाल ही में जर्मनी ने अपने वीजा नियमों में भी ढील दी है जिससे भारतीयों के लिए वहां जाना आसान होगा.

जर्मनी को हर साल 2.88 लाख वर्कर्स की जरूरत

रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी को हर साल कुल मिलाकर 288,000 यानी 2.88 लाख वर्कर्स की जरूरत होगी जो उसे बाहर से यानी अप्रवासी नागरिकों के रूप में मिलने होंगे. इस देश में स्थिर लेबर फोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए हाल के कुछ सालों नहीं बल्कि 2024 तक हर साल 2.88 लाख इमीग्रेटेड नागरिकों को अपने यहां जगह देने की जरूरत होगी. इसके अलावा एक अहम आंकड़ा ये है कि अगर खासतौर पर महिलाओं और बुजुर्ग वर्कर्स की संख्या में अच्छा इजाफा नहीं होता है तो जर्मनी में ये आंकड़ा 3 लाख 68 हजार इमीग्रेंट्स तक भी पहुंच सकता है.

बर्टेल्समैन स्टिफ्टंग (Bertelsmann Stiftung) की एक रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी को अपनी लेबर फोर्स पर बढ़ती उम्र की आबादी के असर को कम करने की जरूरत है. इसके लिए इस देश को हर साल सैकड़ों अप्रवासियों को यहां लाने की जरूरत है जिससे देश में कामकाजी संस्थाएं और दफ्तर आदि सुचारू रूप से चल सकें. इकनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के रिपोर्ट के मुताबिक ये रिपोर्ट आई है.

जर्मनी में अगले साल आम चुनावों के लिए बड़ा मुद्दा

बर्टेल्समैन स्टिफ्टंग की रिपोर्ट में दिया गया है कि जर्मनी में माइग्रेशन नियमों को लेकर बढ़ती राजनीतिक बहस अगले साल यहां होने वाले आम चुनावों पर बड़ा असर डालेगी. वहां की राजनीतिक पार्टियां देश में हाल ही में बढ़ी शरणार्थियों की संख्या के चलते कड़े इमीग्रेशन नियमों की वकालत कर रही हैं.

डेमोग्राफिक चेंज की वजह से बदले हालात

जर्मनी में कामकाजी वर्कफोर्स की कमी की शुरुआत साल 2000 की शुरुआत के साथ ही आरंभ हो गई थी. हालांकि उस 2000 के दशक के आसपास लगभग 6 लाख इमीग्रेंट्स ने जर्मनी में एंट्री ली थी लेकिन अब ये आंकड़ा बढ़ाने की जरूरत है. डेमोग्राफिक चेंज की वजह से और देश में आबादी के लिए बढ़ते चैंलेंज के चलते भी आने वाले समय में अप्रवासियों की जरूरत पड़ने वाली है. 

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