लाखों गिग वर्कर्स को सरकार दिला सकती है फ्यूचर बेनिफिट, जून से लागू हो सकता है फ्रेमवर्क
Labour Ministry: लाखों गिग वर्कर्स को भविष्य के संकट की चिंता से काफी हद तक मुक्त कराने के लिए भारत सरकार एक बड़े सोशल सिक्योरिटी फ्रेमवर्क पर काम कर रही है. इसके जून से लागू होने की संभावना है.
Social Security Framework: खाना ऑर्डर करते ही आपके घर की ओर दौड़ पडने वाले जोमैटो और स्विगी के डिलीवरी ब्वॉय को कई बार रोटी भी नसीब नहीं होती है. काम छूटते ही ये सड़क पर आ जाते हैं और इनकी भूखों मरने की नौबत आ जाती है. लंबी बीमारी की स्थिति में भी इनके पास पैसे का कोई सहारा नहीं होता है. इनके जैसे दूसरे कामों में भी लगे देश के लाखों गिग वर्कर्स की यही स्थिति है. गिग वर्कर्स को ऐसे संकट की चिंता से काफी हद तक मुक्त कराने के लिए भारत सरकार एक बड़े सोशल सिक्योरिटी फ्रेमवर्क पर काम कर रही है. इसके जून से लागू होने की संभावना है.
नया लेबर कोड नहीं लागू हो पाने के कारण आ रहा विकल्प
भारत सरकार को गिग वर्कर्स के लिए सोशल सिक्योरिटी फ्रेमवर्क पर काम करने की मजबूरी नए लेबर कोड के नहीं लागू हो पाने के कारण है. इस विशाल वर्कफोर्स के कल्याण के लिए यह एक बड़ा फ्रेमवर्क होगा. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लाखों गिग और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्कर्स के कल्याण के लिए लेबर मिनिस्ट्री फ्रेमवर्क फॉर सोशल सिक्योरिटी कवरेज लांच करने जा रही है. जून में इसे लॉन्च करने का टारगेट रखा गया है.
हर गिग वर्कर को मिल सकता है यूनिक आईडेंटिटी नंबर
नए फ्रेमवर्क के तहत भारत सरकार हर गिग वर्कर को यूनिक आडेंटिटी नंबर प्रोवाइड कर सकती है. इसके जरिये इन्हें प्राइवेट सेक्टर के स्थायी कर्मचारियों की ही तरह मेडिकल इंश्योरेंस और प्रॉविडेंट फंड का लाभ देने पर विचार किया जा सकता है. हो सकता है कि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की तरह भारत सरकार भविष्य में इन्हें पेंशन आदि की सुविधा देने पर भी विचार करे. इससे इन्हें काम की सुरक्षा नहीं रहने की स्थिति में भी जीवन जीने की बेसिक मिनिमम सुरक्षा कम से कम मिल जाएगी. देश में गिग वर्कर्स की संख्या 2030 तक दो करोड़ 35 लाख तक पहुंच जाने की उम्मीद है. यह पूरे वर्क फोर्स का चार फीसदी से ज्यादा होगा.
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