इस समय निवेश के लिहाज से गिल्ट फंड आकर्षक दिख रहे हैं. लेकिन सवाल है, क्या सिर्फ बेहतर रिटर्न के आधार पर इनमें निवेश किया जा सकता है. निवेशक रणनीतिक तौर पर गिल्ट फंड का इस्तेमाल दो तरह से करते हैं. जब ब्याज गिरता है तो निवेशक इसमें निवेश करते हैं और ब्याज दर ऊंचा होते ही इसे रिडीम कर लेते हैं. दूसरी रणनीति के तहत निवेशक इसमें लंबे समय तक निवेश करते हैं.
बेहतर रिटर्न, फिर क्यों न करें निवेश?
पिछले एक साल में गिल्ट फंड के निवेशकों को दहाई अंक में रिटर्न मिला है. डायनेमिक गिल्ट फंड कैटेगरी में तो 11 फीसदी का रिटर्न हासिल हुआ है. दस साल के गिल्ट फंड का रिटर्न 11.7 फीसदी तक पहुंच चुका है. ऐसे में निवेशकों को यह आकर्षक दिख सकता है. दहाई अंक में रिटर्न का फायदा होने के साथ निवेशकों को इसमें क्रेडिट रिस्क की चिंता नहीं करनी होती है क्योंकि इस पर केंद्र सरकार की सॉवरेन गारंटी होती है. जब इतने पॉजिटिव पहलू हों तो निवेश करने में क्या जोखिम है?
क्या कहते हैं एक्सपर्ट ?
गिल्ट फंड में निवेश के प्रति विश्लेषकों की राय थोड़ी अलग है. उनका मानना है कि रिटेल निवेशकों को इन फंड्स से दूर रहना चाहिए. भले ही इनमें क्रेडिट रिस्क न हो लेकिन ये फंड इंटरेस्ट मूवमेंट के प्रति काफी सेंसेटिव होते हैं. इंटरेस्ट रेट पर नजर रखना रिटेल निवेशकों के लिए इतना आसान नहीं होता. इसलिए इसमें ज्यादा उतार-चढ़ाव निगेटिव रिटर्न दे सकता है. अगर रिटेल निवेशक किसी फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह नहीं ले रहा है तो बेहतर है कि वह गिल्ट फंड में निवेश से जितना संभव हो बचे.
निवेश सलाहकारों के मुताबिक इन स्कीमों में केवल उन निवेशकों को पैसा लगाना चाहिए जिन्हें मनी या बॉन्ड मार्केट की अच्छी समझ है. ये स्कीमें ब्याज दरों की चाल के प्रति बेहद संवेदनशील होती हैं. लिहाजा एंट्री और एग्जिट का समय भी बहुत मायने रखता है. ब्याज दरों में गिरावट के माहौल में ये स्कीमें बहुत अच्छा करती हैं. लेकिन, ब्याज दरों के बढ़ते ही इन्हें नुकसान शुरू हो जाता है.
क्या है गिल्ट फंड?
गिल्ट फंड डेट फंड की एक कैटेगरी हैं. ये स्कीमें सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. सेबी के नियमों के अनुसार, गिल्ट फंडों को अपने एसेट का कम से कम 80 फीसदी सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करना जरूरी है. गिल्ट फंड दो तरह के होते हैं. एक जो विभिन्न अवधि में मैच्योर होने वाली सरकारी बॉन्ड में निवेश करते हैं. दूसरे, 10 साल की मैच्योरिटी वाली सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं.
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